फांसी की इस्तेमाल की जा चुकी रस्सी या फंदे को लेकर दुनियाभर में तरह तरह के अंधविश्वास प्रचलित रहे हैं. दुनियाभर में आमतौर पर 10वीं सदी से फांसी की प्रथा शुरू हुई. आमतौर पर ब्रिटेन में इसे लेकर काफी आत्मविश्वास रहे हैं. इससे पहले ब्रिटेन और दूसरे देशों में सार्वजनिक तौर पर जल्लाद सिर से धड़ अलग करके मृत्युदंड देता था. हालांंकि अब तो फांसी की सजा का विरोध हो रहा है. उसकी जगह लेथल इंजेक्शन से मृत्युदंड देने की मांग हो रही है.
इस रस्सी को लेकर कई तरह के अंधविश्वास प्रचलित हैं. दरअसल ब्रिटेन में जब फांसी दी जाती थी तो इस रस्सी को जल्लाद को दे दिया जाता था. ना जाने कैसे ये बात ब्रिटेन में प्रचलित हो गई कि अगर कोई इस रस्सा का टुकड़ा घर पर रख ले या उसका लॉकेट पहन ले तो उसकी किस्मत बदल सकती है. इतिहास में ये उल्लेख मिलता है कि ब्रिटेन में जल्लाद इन रस्सी के टुकड़े करके उसे बेच देते थे और लोग खुशी खुशी उन्हें खरीदते थे. हालांकि 1965 में ब्रिटेन में फांसी पर रोक लगा दी गई.
ब्रिटेन में फांसी की रस्सी को लेकर जहां अंधविश्वास बहुत ज्यादा बढ़ते गए, वहीं जब मृत्युदंड सिर को धड़ से अलग करके दिया जाता था, तब भी ब्रिटेन और यूरोप के बहुत से हिस्सों में ये अंधविश्वास बहुत ज्यादा था कि अगर मृत्युदंड पाए शख्स के शरीर के अंग रखे जाएं तो इससे ना केवल आप बीमारियों से दूर रह सकते हैं बल्कि ये सौभाग्य भी लाता है.
ब्रिटेन में जब फरसे से धड़ और सिर को अलग करके मौत की सजा दी जाती थी, तब ब्रिटेन के लोग टॉवर हिल पर इकट्ठा होकर इसे देखते ही नहीं थे बल्कि अपने घरों से ऐसे कपड़े लाते थे, जिससे वो इन कपड़ों को खूुन में डूबो सकें. इसे घर में रखने पर माना जाता था कि ये बेहतर भाग्य का काम करेगा. फ्रांस में जल्लाद इस खून को ऊंचे दामों में बेच देते थे जबकि चीन में इस खून को इकट्ठा करके औषधियों में इस्तेमाल किया जाता था. ब्रिटेन की पब्लिक इंटरेस्ट ला जनरल में विस्तार से इसके बारे में बताया गया है.
आमतौर पर भारत में ये रस्सी जल्लाद को ही दे दी जाती है या जल्लाद इसे ले जाता है. कई देशों में इस रस्सी को कई छोटे टुकड़ों में काटकर कारागार के डेथ स्क्वॉड को दे दिया जाता है, जिसमें बड़े अधिकारियों से लेकर निचले स्तर तक के गार्ड तक शामिल रहते हैं. भारत में इस रस्सी को लेकर और कहीं बेशक अब तक अंधविश्वास नहीं सुना गया लेकिन वर्ष 2004 में जब नाटा मल्लिक जल्लाद ने रेप और मर्डर के दोषी धनंजय चटर्जी को फांसी पर लटकाया था तो उसने इस रस्सी के टुकड़ों से बहुत कमाई की थी.
दरअसल बंगाल में ना जाने कैसे ये अंधविश्वास फैल गया कि फांसी की रस्सी का लॉकेट पहनने से किस्मत पलट जाती है. अगर आपके पास नौकरी नहीं है तो रोजगार मिल जाता है. अगर कर्ज में दबे हैं तो इससे छुटकारा मिल जाएगा. बेहतर दिन शुरू हो जाएंगे. व्यापार में घाटा हो रहा है तो किस्मत बदल जाती है. जब ये आप कोलकाता में फैलने लगी तो नाटा मल्लिक के घर के आगे लॉकेट की रस्सी लेने वालों की भीड़ लगने लगी.
नीतीश कुमार को CM बनवाने के बाद उन्हीं का किया विरोध, कुछ ऐसा था नरेंद्र सिंह का रूतबा
दुनिया का सबसे ताकतवर देश अमेरिका आज मना रहा आजादी का जश्न, देखें 10 फोटोज
Rambha PHOTOS: 46 साल में 3 बच्चों की मां बनने के बाद अब ऐसी दिखने लगीं है 'बंधन' फिल्म की एक्ट्रेस रंभा
IND vs ENG: एजबेस्टन में लक्ष्य का पीछा करना आसान नहीं, यहां चौथी पारी में सिर्फ 2 बार...