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Couplets of Shahryar: 'जुस्तुजू जिस की थी उस को तो...' पढ़ें, शहरयार के शेर

शहरयार के शेर (Couplets of Shahryar): 'शहरयार' का जन्म 16 जून 1936 को उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के बरेली में हुआ था. उनका मूल नाम अख़लाक़ मोहम्मद ख़ान शहरयार था. ख़लील-उर-रहमान आज़मी उनके गुरु थे. जानकारी के मुताबिक साल 1987 में उन्हें साहित्य अकादमी अवार्ड से नवाजा गया था. उन्होंने फ़िल्म उमराव जान के गीत भी लिखे थे. पढ़ें, उनके चुनिंदा अशरार

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है कोई जो बताए शब के मुसाफ़िरों को, कितना सफ़र हुआ है कितना सफ़र रहा है

02

शिकवा कोई दरिया की रवानी से नहीं है,  रिश्ता ही मिरी प्यास का पानी से नहीं है

03

जब भी मिलती है मुझे अजनबी लगती क्यूँ है,  ज़िंदगी रोज़ नए रंग बदलती क्यूँ है

04

शाम होते ही खुली सड़कों की याद आती है, सोचता रोज़ हूँ मैं घर से नहीं निकलूँगा

05

जुस्तुजू जिस की थी उस को तो न पाया हम ने,  इस बहाने से मगर देख ली दुनिया हम ने

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सियाह रात नहीं लेती नाम ढलने का,    यही तो वक़्त है सूरज तिरे निकलने का(साभार-रेख़्ता)

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    Couplets of Shahryar: 'जुस्तुजू जिस की थी उस को तो...' पढ़ें, शहरयार के शेर

    है कोई जो बताए शब के मुसाफ़िरों को, कितना सफ़र हुआ है कितना सफ़र रहा है

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