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Andha Yug Play: सारे पहिये हैं उतर गये जिससे वह निकम्मी धुरी तुम हो, क्या तुम हो प्रभु?

'अंधा युग' केवल महाभारत की कथा नहीं होकर, समूचे मानव जगत को युद्ध की विभीषिका दिखाने वाली रचना है.

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राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में लगभग 30 वर्ष बाद धर्मवीर भारती के चर्चित नाटक 'अंधा युग' का प्रदर्शन किया गया. प्रसिद्ध नाट्य निर्देशक रामगोपाल बजाज के निर्देशन में इस नाटक को एनएसडी रंगमंडल द्वारा मंचित किया गया.

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धर्मवीर भारती का काव्य नाटक 'अंधा युग' भारतीय रंग मंच का एक महत्वपूर्ण नाटक है. 'अंधा युग’ नाटक का रचनाकाल 1954 का है. नाटक की कथावस्तु महाभारत से ली गई है. इस नाटक में महाभारत के अट्ठारहवें दिन की संध्या से लेकर प्रभास-तीर्थ में कृष्ण की मृत्यु के क्षण तक का वर्णन है.

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'अंधा युग' नाटक के माध्यम से लेखक ने वर्चस्व की लड़ाई में इस्तेमाल होने वाले भीषण हथियारों के परिणामों पर भी चिंता व्यक्त की गई है. जब बदले की अग्नि में अश्वत्थामा ब्रह्मास्त्र का प्रयोग किया तो व्यास कहते हैं- ज्ञात क्या तुम्हें है परिणाम इस ब्रह्मास्त्र का? यदि यह लक्ष्य सिद्ध हुआ ओ नरपशु! तो आगे आने वाली सदियों तक पृथ्वी पर रसमय वनस्पति नहीं होगी.

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'अंधा युग' नाटक में कर्म और कर्मयोग को ही सर्वोच्च बताया है. नाटक में एक बूढ़ा याचक कहता है- “जब कोई भी मनुष्य अनासक्त होकर चुनौती देता है इतिहास को उस दिन नक्षत्रों की दिशा बदल जाती है.”

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'अंधा युग' नाटक का समापन कृष्ण को तीर मारने वाले व्याध के कथन पर होता है- अंधे युग में प्रभु का अंश निष्क्रिय (संजय) आत्मघाती (युयुत्सु) और विगलित रहेगा तथा उनका दूसरा अंश मानव मन के उस मंगलकारी वक्त में निवास करेगा जो ध्वंसों पर नूतन निर्माण करेगा. नूतन सृजन, निर्भयता, साहस और मर्यादायुक्त आचरण में प्रभु बार-बार जीवित हो उठेंगे.

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'अंधा युग' नाटक का निर्देशन किया है रामगोपाल बजाज ने. राजेश सिंह और अरुण मलिक सहायक निर्देशक है. अम्बा सान्याल ने वेशभूषा तैयार की है. प्रकाश व्यवस्था सौति चक्रवर्ती की है. संगीत और ध्वनि के माध्यम से नाटक को प्रभावशाली बनाने में अजय कुमार, संतोष कुमार और राजेश सिंह ने अहम भूमिका निभाई. मंच सामग्री और मेकअप तैयार किया था अरुण कुमार मलिक और उनकी टीम ने.

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'अंधा युग' नाटक में गांधारी के रोल में पोतशंगबम रीता देवी ने बड़ा ही सजीव अभिनय किया है. धृतराष्ट्र की भूमिका निभाई अश्विन वर्मा ने. अजय कुमार ने विदुर, नवीन सिंह ठाकुर ने कृतवर्मा, सुमन कुमार ने कृपाचार्य, धीरज कुमार ने संजय, अनंत शर्मा ने युयुत्सु, बिक्रम लेप्चा ने अश्वत्थामा और मजिबुर रहमान ने युधिष्ठिर की भूमिका अदा की.

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    Andha Yug Play: सारे पहिये हैं उतर गये जिससे वह निकम्मी धुरी तुम हो, क्या तुम हो प्रभु?

    राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में लगभग 30 वर्ष बाद धर्मवीर भारती के चर्चित नाटक 'अंधा युग' का प्रदर्शन किया गया. प्रसिद्ध नाट्य निर्देशक रामगोपाल बजाज के निर्देशन में इस नाटक को एनएसडी रंगमंडल द्वारा मंचित किया गया.

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