सांस्कृतिक संस्था ‘राग विराग’ के कलाकारों ने कथक नृत्य नाटिका ‘सृजन’ प्रस्तुत की. सृजन की क्रम लय माला को एक बरगद के रूप में परिपक्व होकर मजबूत जड़ के रूप में देखकर दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए और दर्शक दीर्घा में बैठे नृत्य प्रेमियों के मन में बस यही तरंगें उठने लगीं.
कथक केवल नृत्य मात्र नहीं है बल्कि नृत्य में कथा कहने की भारतीय शास्त्रीय कला है. कथक को किसी समय कुशिलव के नाम से जाना जाता था. हमारे प्राचीन ग्रंथों और पौराणिक कथाओं में भी कथक का वर्णन मिलता है. महाभारत और कृष्ण कथा में कथक नृत्य का विशेष उल्लेख है.
देवताओं और गुरुओं के मंगलाचरण के साथ शुरू होकर सुंदर-मोहक मुद्राओं के माध्यम से कथक विभिन्न कथाओं को प्रस्तुत करता है. पखवाज की ताल पर जब नृत्यक के पैर थिरकने शुरू होते हैं दर्शकों का दिल भी उसी लय में धड़कने लगता है.
‘सृजन’ नृत्य नाटिका की संरचना पुनीता शर्मा द्वारा की गई है. पढ़ंत पर पुनीता शर्मा जी, सारंगी पर घनश्याम सिसोदिया और तबले पर राहुल विश्वकर्मा ने सुर-ताल की ऐसी सरगम छेड़ी कि देर शाम तक लोग कथक की तरंगों में गोते लगाते रहे. नृत्य नाटिका का संगीत राग देश और राग भटियार पर आधारित था.
मुख्य अतिथि गुरु खुलना लैमियम के आशीर्वाद से शुरू हुए इस कार्यक्रम में सुमेधा, शारवी, शनाया, अहाना, आरिशी, ख़ुशी, असावरी, पुरवी, ध्वनी, अमायरा कुमार, सिद्धिमा, प्रान्शी, चारवी, शाइनी, गौरिका, श्रुति, प्रियांशी, कोमल, वरनिका, अथरवा गुप्ता, शिखा, चंचल, दिव्या, सहज, अर्शिया, शिवानया, अमायरा बंसल, अमायरा चोपड़ा, तान्या मंगला, राशिका, आन्या छाबड़ा, सुकृती, सहर, रिजुल, कुहु, दीपांजन गांगुली, धर्मेंद्र नारायण ने कथक के माध्यम से विभिन्न कथाओं को प्रस्तुत किया.