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OMG: वकील साहब ध्यान लगाते रह गए, कोर्ट पहुंचकर भोलेनाथ ने कर दी वकालत, आज भी रखी है फाइल, PHOTOS

Har Har Mahadev: प्राचीन कथाओं में पुराणों में आपने सुना होगा कि भगवान अपने भक्तों की रक्षा के लिए अलग-अलग रूप धरकर धरती पर आते हैं. लेकिन क्या आपने सुना है भक्त की भक्ति में बाधा न आए इसके लिए भगवान ने खुद अपने भक्त का रूप धारण कर लिया. जी हां आगर मालवा के इस मंदिर से एक ऐसा ही दावा जुड़ा हुआ है. इसमें भगवान स्वयं अपने वकील भक्त का रूप धरके कोर्ट में पहुंचे और जिरह करके केस जिता गए.

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बाबा बैजनाथ के अनन्य भक्त रहे आगर निवासी स्व. जयनारायण बापजी वकील साहब के बारे में एक ऐसा ही किस्सा प्रचलित है. एक कथा के अनुसार वकील जयनारायण बापजी आगर कोर्ट में वकालत करते थे. वो नियमित रूप से महादेव दर्शन के लिए इसी बैजनाथ मंदिर में आते थे और ध्यान लगाते थे.

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बाबा बैजनाथ के अनन्य भक्त रहे आगर निवासी स्व. जयनारायण बापजी वकील साहब के बारे में एक ऐसा ही किस्सा प्रचलित है. एक कथा के अनुसार वकील जयनारायण बापजी आगर कोर्ट में वकालत करते थे. वो नियमित रूप से महादेव दर्शन के लिए इसी बैजनाथ मंदिर में आते थे और ध्यान लगाते थे.

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कहते हैं जयनारायण बापजी वकील साहब ऐसे ही एक बार महादेव के ध्यान में इतने मग्न हो गए कि अपने पक्षकार की पैरवी के लिए न्यायालय में समय पर नहीं पहुंच पाए. ध्यान भंग होने के बाद जब वो न्यायालय पहुंचे तो पता चला कि वे अपने पक्षकार की पैरवी कर चुके हैं और कैस जीत चुके हैं.

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जयनारायण बापजी वकील साहब की वह केस डायरी आज भी संभाल कर रखी हुई है. किस्से और भी हैं. ऐसा बताया जाता है कि जिस जगह यह डायरी रखी हुई थी उस घर में आग लग गई थी. आग में पूरा सामान जल गया. लेकिन केवल वही अलमारी जलने से बच गयी जिसमें यह डायरी रखी हुई थी.

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भगवान बैजनाथ के प्रति अटूट आस्था रखने वाले बापजी के साथ हुए इस चमत्कारिक घटनाक्रम की जीवंतता के कारण संगमरमर से निर्मित बापजी की आदमकद ध्यानमग्न प्रतिमा मंदिर के सभा मंडप में भी स्थापित की गई है. इस आलौकिक वृतांत वाला कक्ष आज भी न्यायालय में इस गाथा को संजोए हुए है.

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आगर के वकील आज भी बापजी की तस्वीरें अपने कक्ष में भगवान के रूप में रखते हैं. इस मंदिर में पिछले कई दशक पूर्व से अखंड रामायण का पाठ अलग अलग गांव के लोग लगातार करवा रहे हैं. यहां पर अखंड रामायण पाठ के लिए एक साल पहले से बुकिंग कराना पड़ती है. अलग अलग दिन अलग अलग गांव के लोग यहां अखंड पाठ करते हैं.

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इसके साथ ही कई दशकों से मन्दिर में अखंड ज्योत भी जारी है. बाबा बैजनाथ के इस प्राचीन मन्दिर की महिमा सुनकर साल भर बड़ी संख्या में दर्शन के लिए पहुंचते हैं.

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बैजनाथ महादेव मंदिर की स्थापना के बारे में स्पष्ट तो कहा नहीं जा सकता लेकिन बताया जाता है यहां पहले कभी बेटखेड़ा नामक एक गांव पहाड़ी पर दक्षिण पाश्र्व में बसा हुआ था। उस गांव में मोड़ जाति के वैश्यों की बस्ती हुआ करती थी. मोड़ वैश्यो ने बैजनाथ महादेव के मंदिर को सन 1563 ई. में स्थापित किया था. पहले यह मंदिर एक मठ के रूप होकर कम ऊचाई लिए हुए था, और मंदिर की दीवारें ज्वालामुखीय पत्थरों से बनी मोटी-मोटी हुआ करती थीं.

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आगर मालवा के प्रसिद्ध बाबा बैजनाथ महादेव मंदिर के बारे में कई किदवंतिया प्रचलित हैं. मन्दिर के जीर्णोद्धार के बारे में कहा जाता है कि ये देश का एक मात्र ऐसा मंदिर है जिसका जीर्णोद्धार अंग्रेज कर्नल मार्टिन दम्पति ने कराया था.

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1889 में अफगानिस्ता पर आक्रमण के दौरान कर्नल मार्टिन अंग्रेज सेना का नेतृत्व कर रहे थे. युद्ध मैदान ने उन्होंने अपनी पत्नी को संदेश भेजा कि अंग्रेज सेना लगभर हार रही थी. अफगानी सेना से बच पाना मुश्किल था लेकिन तभी कोई केश और दाढ़ी मूंछधारी बाबा युद्ध मैदान में आए और उन्होंने अंग्रेज सेना को बचा लिया. उसके बाद कर्नल मार्टिन की पत्नी बैजनाथ बाबा की अनन्य भक्त बन गयीं. कर्नल मार्टिन के लौटने पर दंपति ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया.

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इस बात को हकीकत भी साबित किया है आगर में पदस्थ सूबेदार जगदीश यादव ने. पुलिस महकमे के सूबेदार जगदीश यादव करीब 1 वर्ष की मेहनत से अंग्रेज दम्पति के बारे में कई सारी जानकारी जुटाई है. उन्होंने कर्नल मार्टिन के परिवार को ढूंढ निकाला और उनसे संपर्क कर कर्नल मार्टिन और बैजनाथ से जुड़े तथ्य भी जुटाए हैं. सूबेदार ने कर्नल की सातवीं पीढ़ी यानी उनकी पोती की पोती शांति मैक्लोवर से सम्पर्क किया जो कि ऑस्ट्रेलिया में रहती हैं

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