एमपी के छतरपुर जिले में स्थित बागेश्वर धाम की तरह ही राजगढ़ के जूनापानी गांव में मंशापूर्ण हनुमान धाम है. खास बात यह है कि यह धाम बागेश्वर धाम प्रमुख पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का चेला हनुमंत दास यानी रवि सैनी चला रहा है. वह ठीक उसी तरह लोगों की समस्या माइक पर सुनता है जैसे पंडित धीरेंद्र. वह हूबहू उसी तरह पर्चा बनाता है, जैसे पंडित धीरेंद्र. फर्क बस भीड़ और नाम का है. हो सकता है पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को अपने चेले के धाम की जानकारी ही न हो.
यह धाम राजगढ़ जिले के जीरापुर के रामगढ़ के पास है. बताया जाता है कि रवी सैनी ने कई साल पहले अध्यात्म की यात्रा शुरू की. उसके बाद वह प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के ऑफिस में लिखा-पढ़ी का काम करने लगा. उसके बाद उसने बागेश्वर धाम की शरण ली. अब वह खुद का ही धाम संचालित करता है. कुछ सैकड़ा लोग उसके दरबार में उपस्थिति दर्ज कराते हैं.
उनके परिवार में उनके अलावा माता-पिता, दो भाई और 1 बहन हैं. पिता किसी प्राइवेट कंपनी में काम करते हैं. हनुमंत दास यानी रवि सैनी ने बीए तक पढ़ाई की है. उनका कहना है कि जब वे 19 साल के हुए तो अध्यात्म से जुड़ गए. वे भगवान हनुमान की गदा और गले में उनका लॉकेट पहनते हैं.
जानकारी के मुताबिक, रामगढ़ के जूनापानी गांव में जंगल है. यहां एक चबूतरा है. कहा जाता है कि यह चबूतरा 70 साल पुराना चबूतरा चगसजी महारज का है. इस चबूतरे पर दो बड़े वट वृक्ष हैं. समय आने पर गांववालों ने यहां बाल हनुमान, शिवजी और राधे-कृष्ण मंदिर का निर्माण किया.
इसके बाद यहां धार्मिक आयोजनों का सिलसिला शुरू हो गया. हर महीने ये आयोजन होने लगे. धीरे-धीरे लोग हनुमंत दास को जानने लगे. अब इनके दरबार की भीड़ भी धीरे-धीरे बढ़ रही है.
बता दें, अभी तक यह दरबार राघौगढ़ में मंशापूर्ण हनुमान मंदिर में ही लगा करता था. पहली बार कुछ दिन पहले वह यहां से निकलकर राजगढ़ जिले के जीरापुर के रामगढ़ में लगाया गया. हनुमंत दास ने यहां रविवार और सोमवार को दरबार लगाया.
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