भोपाल. मध्यप्रदेश राज्य भारत के दिल में घर करता है. यहां धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों को भंडार है. यही नहीं, भोपाल के आसपास के 50 से 60 किलोमीटर क्षेत्र में भ्रमण के लिए सैलानियों का हुजूम लगा रहता है. हालांकि उन्हें असुविधाओं का सामना भी करना पड़ता है. ऐसे में अब पर्यटक भोपाल दर्शन की मांग करने लगे हैं. बता दें कि मुंबई और दिल्ली में एक वाहन के माध्यम से सुबह से लेकर शाम तक सभी स्थलों के दर्शन हो जाते हैं. इस दौरान सैलानियों को किसी भी तरह की समस्या नहीं होती. इसी तरह की सुविधा अब पर्यटक झीलों की नगर भोपाल में भी चाहते हैं.
ऊपरी झील और निचली झील: भोपाल में स्थित बड़ा तालाब या अपर लेक, देश की सबसे पुरानी मानव- निर्मित झील है. यह झील 11 वीं सदी की है और इसे स्थानीय स्तर पर बड़ा तालाब के नाम से जाना जाता है. यह झील कोलन्स नदी पर बने एक विशाल बांध के पास स्थित है और इसे भारत की सबसे सुंदर झीलों में से एक माना जाता है.
भीमबेटका: दक्षिण एशिया में मानव अस्तित्व का सबसे पुराना सबूत दिखाते हैं. 2003 वह वर्ष था जब इसे विश्व धरोहर स्थल नामित किया गया था. भीमबेटका में पांच सौ से अधिक रॉक गुफाएं और आश्रय पाए जाते हैं, जिनमें से प्रत्येक में महत्वपूर्ण संख्या में कलाकृतियां हैं. हालांकि कई मूल आकृतियां मध्यकालीन युग की शुरुआत की हैं, लेकिन यह माना जाता है कि सबसे पुराने चित्र 30,000 साल पुराने हैं.
रानी कमलापति पैलेस: रानी कमलापति पैलेस एक ऐतिहासिक महल है, जो भोपाल में है. यह कमला पार्क के अंदर स्थित है और यहां भोपाल जंक्शन से पांच किलोमीटर की दूरी तय करके पहुंचा जा सकता है. गोंड जनजाति भोपाल के स्वदेशी मालिक थे और वे उस महल में निवास करते थे, जो ऊपरी और निचली झीलों को देखकर एक पहाड़ी पर बैठे थे. वहीं, दो झीलों को अलग करने वाले बांध के रूप में काम करने वाली विशाल दीवार वह जगह थी, जहां राजा भोज ने महल खड़ा किया था. रानी कमलापति पैलेस का निर्माण 18वीं शताब्दी में लखौरी ईंटों का उपयोग करके किया गया था. इसमें मेहराबदार खंभों को रखा गया है.
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय: इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय भोपाल में स्थित है और 200 एकड़ के क्षेत्र में श्यामला पहाडि़यों पर बना हुआ है. यहां से बड़ा तालाब का मनोरम दृश्य दिखाई देता है. इस संग्रहालय को देश का सबसे बड़ा खुला हवा मानवविज्ञान संग्रहालय होने का दावा किया जाता है. इस संग्रहालय को 1977 में खोला गया था, ताकि लोग मानव जाति के इतिहास के बारे में जान सकें और मानव विज्ञान के बारे में शिक्षित हो सकें. इसी उद्देश्य से यह संग्रहालय वर्ष भर आउटडोर और इनडोर प्रर्दशनी का आयोजन करवाता रहता है.
बिरला संग्रहालय: बिरला मंदिर, भोपाल पर्यटन की एक और झलक है जिसे यह ध्यान में रखकर बनाया गया था कि इसे मध्यप्रदेश की सांस्कृतिक विरासत के रूप में जाना जाएं. इस संग्रहालय में कई प्रकार की कला और कला सामग्री है, जो पर्यटकों को राज्य के इतिहास के बारे में जानकारी प्रदान करते है. भोपाल में इस तरह का अकेला संग्रहालय यही है और यह राज्य का प्रमुख पर्यटन स्थल भी है. इस संग्रहालय में भोपाल की आदिम काल और मध्यकाल की कई वस्तुओं को प्रदर्शित किया गया है.
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