मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों का नतीजा बस अब कुछ घंटे दूर ही रह गया है. एमपी की 230 सीटों में से 30 सीटों पर कांग्रेस-बीजेपी ने ऐसे नेताओं को टिकट दिया है जो जिनके माता-पिता या कोई रिश्तेदार राजनीति से जुड़ा रहा है. इनमें 10 ऐसे युवा चेहरे भी हैं जो 2018 विधानसभा चुनावों के जरिए राजनीति में डेब्यू करने जा रहे हैं. एमपी की राजनीति में इनका भविष्य क्या होगा इसका फैसला 11 दिसंबर को हो जाएगा.
1. आकाश विजयवर्गीय: बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश विजयवर्गीय इंदौर-3 सीट से मैदान में हैं. आकाश को पार्टी ने विधायक ऊषा ठाकुर की जगह टिकट दिया है. उनका मुकाबला कांग्रेस के अश्विन जोशी से है. जोशी इस सीट से तीन बार के विधायक रह चुके हैं. अश्विन खुद भी कांग्रेस के पूर्व मंत्री महेश जोशी के भतीजे हैं. उससे पहले महेश जोशी यहां से तीन बार चुनाव लड़ चुके हैं. इस प्रकार सालों तक इस सीट पर 'चाचा-भतीजे' का राज रहा है.
2. अजीत बौरासी: कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हुए पूर्व सांसद प्रेमचंद गुड्डू के बेटे अजीत बौरासी बीजेपी प्रत्याशी के रूप में घट्टिया सीट से चुनावी मैदान में हैं. सभी की निगाहें गुड्डू के चुनावी मैनेजमेंट पर टिकी हैं. मुकाबला कांटे का इसलिए है, क्योंकि कांग्रेस से पूर्व विधायक रामलाल मालवीय मैदान में हैं. वे 2008 में भाजपा की लहर के बावजूद जीते थे और पिछला चुनाव हारने के बावजूद वे पांच साल मैदान में ही रहे. घटि्टया उन सीटों में शामिल है, जहां भाजपा ने मौजूदा विधायक सतीश मालवीय का टिकट काटकर पहले अशोक मालवीय को प्रत्याशी बनाया फिर आखिरी वक्त पर छीन भी लिया. ऐसा अजीत बौरासी के लिए हुआ.
3. कृष्णा गौर: बीजेपी के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर की बहू कृष्णा गौर भोपाल की गोविंदपुरा सीट से मैदान में हैं. ये सीट बाबूलाल गौर की परंपरागत सीट मानी जाती है. इस बार कृष्णा गौर मैदान में हैं और उनका मुकाबला कांग्रेस से दो बार के पार्षद रहे गिरीश शर्मा से है. यहां 10 बार से भाजपा का ही विधायक बनता आ रहा है. प्रदेश के मुख्यमंत्री और गृहमंत्री रह चुके बाबूलाल गौर गोविंदपुरा सीट से लगातार 44 सालों तक विधायक रहे.
4. विक्रम सिंह: मध्य प्रदेश की रामपुर बघेलान सीट से बीजेपी उम्मीदवार के तौर पर विक्रम सिंह मैदान में है. विक्रम सिंह शिवराज सरकार में मंत्री हर्ष सिंह के बेटे हैं. इस सीट पर विक्रम सिंह का मुकाबला कांग्रेस के रामशंकर पयासी से है. भाजपा उम्मीदवार विक्रम सिंह के पास भले ही कोई किला न हो, पर एक मजबूत राजनीतिक विरासत है. नेहरु-गांधी परिवार की तरह ही उनके परिवार की भी चौथी पीढ़ी पॉलिटिक्स में है. परदादा अवधेश प्रताप सिंह विंध्य प्रदेश के प्रधानमंत्री थे (तब यही पदनाम था), दादा गोविन्द नारायण सिंह मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री थे और पिता हर्ष सिंह अभी भी भाजपा सरकार में मंत्री हैं. बीमारी के वजह से हर्ष सिंह का टिकट उनके बेटे को दिया गया.
5. उमाकांत शर्मा: बीजेपी ने सिरोंज सीट से पूर्व मंत्री और व्यापमं घोटाले के आरोपी लक्ष्मीकांत शर्मा के भाई उमाकांत शर्मा को चुनावी मैदान में उतारा है. उनका मुकाबला कांग्रेस के विधायक गोवर्धन उपाध्याय से है. शिवराज सरकार में कद्दावर मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा को भी पिछले विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था. उन्हें कांग्रेस प्रत्याशी गोवर्धन उपाध्याय ने 1584 वोटों से शिकस्त दी थी. लगातार चार बार विधानसभा का चुनाव जीत चुके लक्ष्मीकांत शर्मा का विजय रथ यहां रुक गया. बाद में व्यापम मामले में फंसने के बाद उन्हें जेल भी जाना पड़ा.
6. मुदित शेजवार: शिवराज सरकार में कैबिनेट मंत्री गौरी शंकर शेजवार के बेटे मुदित शेजवार सांची विधानसभा सीट से मैदान में है. उनका मुकाबला कांग्रेस के प्रभुराम चौधरी से है. मुदित युवा हैं और प्रचार के दौरान उन्होंने युवाओं से शिक्षा से जुड़े बड़े वादे किए हैं. उनके साथ उनके उच्च शिक्षित कई मित्र भी चुनावी मैदान में दिखाई दिए थे. जनसंपर्क के दौरान उन्होंने खास तौर से मध्यम और उच्च वर्ग के परिवारों से मिलकर विकास के विजन को साझा किया था.
7. फातिमा रसूल सिद्दीकी: भोपाल उत्तर सीट से बीजेपी की एकमात्र महिला मुस्लिम प्रत्याशी फातिमा रसूल सिद्दीकी पहली बार चुनावी मैदान में है. उनका मुकाबला कांग्रेस के दिग्गज नेता और पांच बार के विधायक आरिफ अकील से है. फातिमा को कोई खास राजनीतिक तजुर्बा नहीं है. वह बच्चों को पढ़ाने का काम करती हैं. उनके पिता कांग्रेस के नेता थे और दो बार इस सीट से विधायक तथा मंत्री रह चुके हैं.
8. हीरालाल अलावा: कांग्रेस ने मनावर सीट से डॉ. हीरालाल अलावा को मैदान में उतारा है. अलावा ने आदिवासी समुदाय के हक की लड़ाई के लिए डॉक्टर की नौकरी छोड़कर जयस नामक संगठन बनाया है. पिछले तीन साल से वे संघर्ष कर रहे हैं, उनकी मां आंगनबाड़ी में नौकरी करती थीं. हीरालाल के सामने ‘जयस’ का तीसरी शक्ति के रूप में उदय होना चुनौती है और ये इस सीट के नतीजों पर सीधा असर डाल सकता है.
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