ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद 25 मई को मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले पहुंचे. वे यहां छिंदवाड़ा के शक्तिपीठ बड़ी माता मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए आए थे. इस मौके पर उन्होंने कहा कि मैं यहां पर मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए आया हूं. इसका किसी राजनीतिक व्यक्ति से कोई संबंध नहीं है. मेरे बयानों को गलत तरीके से प्रस्तुत किया जाता है.
इस दौरान जब उनसे हिंदू राष्ट्र को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि आजकल गोलबंदी का नाम ही राजनीति हो गया है. गोलबंदी का मतलब है ध्रुवीकरण. हमारे सनातन की अवधारणा में सभी व्यक्तियों को एक समान समझा गया है. यदि हिंदू राष्ट्र की बात होगी तो जो व्यक्ति हिंदू नहीं है उसके साथ अन्याय हो जाएगा. यह हमारी मान्यताओं के विपरीत है. हमें रामराज की बात करनी चाहिए, जिसमें हर व्यक्ति को समान रूप से समझा जाता था.
उन्होंने कहा कि वे अपने गुरु के आदेशानुसार 10000 बच्चों के लिए वैदिक शिक्षा पर आधारित गुरुकुल बनाने का प्रयास कर रहे हैं. इसका कार्य आरंभ हो गया है. धर्म और राजनीति को लेकर उन्होंने कहा कि धर्म अब जीवन के उन्नयन का विषय नहीं रह गया है. बल्कि, राजनीति और व्यापार का विषय बन गया है. इसलिए लोग धर्म का चोला पहनकर अपना स्वार्थ पूरा करते हैं.
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि भारत 75 साल पहले आजाद हो चुका है. लेकिन, अभी भी हिंदुओं को अपने धर्म के बारे में पढ़ाने का अधिकार नहीं मिल सका. अल्पसंख्यक बाकायदा स्कूलों में अपने धर्म के बारे में पढ़ाते हैं. लेकिन, हम नहीं पढ़ा सकते. यह उचित नहीं है. इसको लेकर बड़ा आंदोलन खड़ा किया जाएगा.
गौरतलब है कि गुजरात की द्वारका-शारदा पीठ और उत्तराखंड की ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य का 11 सितंबर 2022 को उनके आश्रम में निधन हो गया था. इसके बाद स्वामी स्वरूपानंद की वसीयत देखी गई. उसके आधार पर स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के निजी सचिव और शिष्य सुबोद्धानंद महाराज ने अविमुक्तेश्वरानंद को ज्योतिष पीठ का नया शंकराचार्य घोषित किया.
गौरतलब है कि, संन्यासी अखाड़े ने स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के निधन के बाद स्वामी अविमुक्तेश्वर को ज्योतिष पीठ का नया शंकराचार्य मानने से इनकार कर दिया था. निरंजनी अखाड़े के सचिव और अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी ने दावा किया था कि अविमुक्तेश्वरानंद की नियुक्ति नियमों के खिलाफ जाकर की गई है.
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