चंबल के बीहड़ और बागी का जिक्र छिड़े तो दतिया का नाम जुबां पर आ ही जाता है. लेकिन मध्य प्रदेश का यह जिला अपने आध्यात्मिक महत्व के लिए भी जाना जाता है. यहां की सोनागिरी पहाड़ी जैन समुदाय के प्रसिद्ध तीर्थस्थल के रूप में जानी जाती है. यहां एक ही पहाड़ी पर बने 77 मंदिर श्रद्धालुओं को आध्यात्मिकता से भर देते हैं, वहीं पर्यटकों का इस पहाड़ी का प्राकृतिक सौंदर्य पसंद आता है.
दतिया जिले का सोनागिर गांव, यूं तो भौगोलिक रूप से ज्यादा बड़ा नहीं है, लेकिन जैन तीर्थस्थल की वजह से यह दुनियाभर में विख्यात है. यहां का सोनागिरी मंदिर जैन श्रद्धालुओं के प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है. एक पहाड़ी पर बने मंदिरों का यह समूह न सिर्फ आध्यात्मिक, बल्कि पर्यटन के नजरिए से भी काफी मनभावन है.
जैन धर्म में सोनागिर का नाम सम्मान से लिया जाता है. बताया जाता है कि जैन धर्म के आठवें तीर्थंकर भगवान चंद्र प्रभु यहां 17 बार आए थे. सोनागिरी की मनोरम पहाड़ी का प्राचीन नाम श्रवणगिरि या स्वर्णगिरि था. जैन अनुयायियों में प्रचलित कथाओं की मानें तो राजा नग और अनंग कुमार इसी पहाड़ी पर जीवन और मृत्यु के चक्र से मुक्त हुए थे. उन्होंने यहीं पर मोक्ष प्राप्त किया था. उसके बाद से ही जैन धर्म के संत और अनुयायी मोक्ष और निर्वाण की तलाश में यहां आने लगे.
सोनागिरी पहाड़ी पर बने मंदिरों का निर्माणकाल नौवीं और दसवीं सदी का है. इन मंदिरों के कारण सोनागिरी की प्राकृतिक छटा अद्भुत दिखती है. यहां के मनोरम दृश्यों को पर्यटक घंटों तक मंत्रमुग्ध होकर निहारते रहते हैं. एक ही पहाड़ी पर बने 77 सुंदर मंदिरों का नजारा आपका भी मन मोह लेगा. ये मंदिर 132 एकड़ क्षेत्र में फैले हुए हैं और आपस में जुड़ी दो पहाड़ियों पर बने हुए हैं.
जैन समुदाय के इस तीर्थ स्थान पर होली के अवसर पर पांच दिवसीय भव्य मेले का आयोजन होता है. इस मेले में बड़ी संख्या में जैन धर्म को मानने वाले और धार्मिक पर्यटन में दिलचस्पी रखने वाले लोग जुटते हैं. होली के आसपास हर साल सोनागिर की यात्रा करने वाले पर्यटकों की संख्या हजारों में है. मेले के दौरान कई रथ यात्रा निकलती है. छोटे-बड़े सभी मंदिरों को सजाया जाता है.
सोनागिरी जैन तीर्थस्थल के 77 मंदिरों में से 57 नंबर वाला मुख्य मंदिर है. कहा जाता है आचार्य शुभ चंद्र और भर्तृहरि ने यहां रहते हुए कठिन तपस्या की थी. 57 नंबर के इस मंदिर में भगवान चंद्र प्रभु की मूलनायक प्रतिमा है, जो 17 फुट ऊंची है. मंदिर के गर्भ गृह की छत पर शीशे की बेहतरीन नक्काशी की गई है. मंदिर के सभा कक्ष में जैन धर्म के सभी तीर्थंकरों के नाम दीवारों पर अंकित हैं. साथ ही इस पहाड़ी पर एक महास्तम्भ भी स्थापित है, जिसकी ऊंचाई 43 फीट है.
इस मंदिर के गर्भगृह में दो लेख देवनागरी लिपि में हैं, जिसमें से एक शिलालेख पर 1233 विक्रमी संवत अंकित है. पहाड़ी पर बने सभी मंदिर बहुत ही मनोरम हैं. मंदिर तक जाने के लिए 84 सीढ़ियां बनाई गई हैं. सोनागिरी पहाड़ी की तलहटी में स्थित गांव भी 26 जैन मंदिर बने हुए हैं. मंदिरों के आसपास भी कई सुंदर कलाकृतियां हैं, जो आपका मन मोह लेंगी.
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