विश्व प्रसिद्ध खजराना गणेश मंदिर की अपनी अनूठी महिमा है. माना जाता है कि यहां आने वाले सभी भक्तों की मनोकमनाएं अवश्य पूरी होती है. यह एक ऐसा मंदिर है जहां भगवान की चौखट पर पट नहीं है. भक्तों के लिए 24 घंटे दर्शन की व्यवस्था होती है. हर वक़्त एक विशेष मंत्र का जाप होता रहता है. मान्यता है कि जब भी किसी पर कोई विपत्ति आती है तो यहां पुजारियों के द्वारा एक विशेष अनुष्ठान और पूजन किया जाता है, जिससे भगवान गणेश अपने भक्त का विघ्न हर लेते हैं, इसीलिए भगवान गणेश को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है. खजराना गणेश मंदिर के पुजारी के मुताबिक़ यह मंदिर काफी प्राचीन है. प्राचीनतम होने का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इस मंदिर की स्थापना खुद माता अहिल्या ने अपने सामने करवाई थी.
पुजारी भट्ट बताते है कि जब औरंगजेब ने मंदिर पर अपना आतंक मचाना शुरू किया था, उस वक़्त भगवान की मूर्ति को सुरक्षित रखने के लिए भगवान गणेश की प्रतिमा को छुपा दिया गया था. जब वक़्त गुजर गया और हालात नियंत्रित और मूर्ति को छुपाने वाले भक्त भूल गए तब खुद भगवान गणेश ने मंगल भट्ट नामक भक्त को स्वप्न दिया और एक विशेष जगह पर खुदाई करने को कहा. स्वप्न में ही आदेश हुआ था कि अगर उस जगह खुदाई होती है तो वहां भगवान गणेश के मूर्ति प्राप्त होगी. इतना ही नहीं कुछ इसी तरह का स्वप्न खुद माता अहिल्या को भी आया था और भक्त भट्ट से ही सम्पर्क करने संदेश प्राप्त हुआ था.
माता आहिल्या और भक्त भट्ट ने स्वप्न में बताए गए स्थान पर खुदाई शुरू की थी तो पाषाण युग की एक मूर्ति प्राप्त हुई. माता अहिल्या खुद विराट शिवभक्त थी. वह भगवान गणेश की मूर्ति पाकर खुद अत्यंत प्रसन्न थी. हालांकि माता अहिल्या इस मूर्ति की स्थापना राजवाड़े पर करवाना चाहती थी. इस वजह से उन्होंने कई सैकड़ों मजदूरों को उस मूर्ति को खजराना से राजवाड़ा पहुंचाने का आदेश भी दे दिया था. लेकिन जब मजदूरों ने इस मूर्ति को उठाने का प्रयास किया तो वह उसे हिला भी नहीं सके. इसके बाद भक्त भट्ट ने माता अहिल्या से अनुमति मांग कर कहा कि भगवान गणेश का खुद आदेश इसी जगह स्थापित करने का है. लिहाजा बेहतर होता कि इस मूर्ति को यही स्थापित कर दिया जाता. माता अहिल्या ने भी इसकी अनुमति दे दी,
जैसे ही मंदिर के स्थान पर लाने के लिए मजदूर और अन्य भक्त मूर्ति उठाने पहुंचे तो भार एक दम कम हो गया था. वहा मौजूद सभी ईश्वर के इस चमत्कार से दंग रहे गए. खजराना गांव में ही भगवान की स्थापना की गई. भक्तों का मानना था कि ईश्वर की मंशा और स्वप्न में दिए गए आदेश के अनुसार यही उपयुक्त है. मौजूदा वक़्त में खजराना गणेश मंदिर की यह मान्यता है कि यहां आने वाले सभी भक्तो की हर मनोकामना पूर्ण होती है. यहां भक्तों के लिए सदैव पट खुले रहते है. दर्शन की विशेष व्यवस्था की जाती है और धीरे धीरे इस मंदिर तीर्थ स्थल का रूप ले लिया. यहां देश विदेश से भक्त दर्शन करने आते है.
शुक्रवार से शुरू होने जा रहे गणेश चतुर्थी के अवसर पर यह आने वाले भक्तों के लिए विशेष दर्शन की व्यवस्था की गई है. चूंकि इन दिनों में यहां भक्तों की संख्या सामान्य से कई गुना अधिक बढ़ जाती है. गणेश चतुर्थी में भगवान का नित्य अभिषेक होगा. भगवान गणेश को दो करोड़ मंदिर रुपए कीमत का स्वर्ण मुकुट धारण करवाया जाएगा. इसके साथ ही 51 हजार मोदक का भोग लगाया जाएगा. गणेश चतुर्थी के दिन यहां मोदक का खास भोग कई वर्षों से लगाया जाता रहा है. विशेष तरह का फूल बंगला और आकर्षक विद्युत सज्जा की गई है.
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