Organ Donation in Indore : इंदौर शहर फिर मिसाल कायम कर रहा है. इस बार ये त्याग और समर्पण की कहानी कह रहा है. अंगदान (organ Donation) में इंदौर एक नया इतिहास लिख रहा है. लोग इतने जागरुक हो चुके हैं कि यहां 41 वीं बार किसी मृतक के अंगदान किये गए औऱ शहर में ग्रीन कॉरिडोर (green corridor) बनाया गया. (रिपोर्ट-सतलज राहत, इंदौर)
इंदौर. इंदौर ने फिर मिसाल कायम की. शहर में 41वीं बार ग्रीन कॉरिडोर (green corridor) बना. इस बार फिर एक ब्रेन डेड महिला के अंग डोनेट किये गए. अंगों को तय मुकाम तक पहुंचाने के लिए तीन अस्पतालों के बीच ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया. ये शहर ऑर्गन डोनेशन के लिए इतना सजग हो गया है कि एक हफ्ते में दूसरी बार ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया.
अंगदान के मामले में पूरे देश के लिए मिसाल बन चुके वाले इंदौर में अंगदान का सिलसिला जारी है. शहर में 41वीं बार ग्रीन कॉरिडोर बना और एक महिला के अंगदान के जरिये जरूरतमंद कई लोगों को नया जीवन मिला. इंदौर में रहने वाली 37 साल की नेहा चौधरी के अंग उनके परिवार वालों ने मानवता और त्याग की मिसाल कायम करते हुए दान किये. नेहा ब्रेन हेमरेज हो गया था. उन्हें इलाज के लिए 12 सितंबर को चोइथराम अस्पताल में भर्ती कराया गया था. लेकिन उपचार दौरान डॉक्टरों ने उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया था.
जवान पत्नी की असमय मौत का सदमा पति को बिलकुल तोड़ गया. लेकिन दुख की इस घड़ी में भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. बल्कि अपनी पत्नी को खोने के बाद भी उन्होंने दूसरों को नयी जिंदगी देने का फैसला किया. नेहा के लिवर, आंख, स्किन और किडनी दान करने का परिवार ने फैसला किया. मानव कल्याण को ध्यान में रखते हुए उनके परिवार ने उनके अंगदान की इच्छा जताई.
विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम ने नेहा चौधरी का 18 सितंबर की सुबह करीब 10 बजे पहला ब्रेन स्टेम डेथ टेस्ट और फिर शाम करीब सवा 4 बजे दूसरा ब्रेन स्टेम डेथ टेस्ट किया था, दोनों में वो ब्रेन डेड पायी गयी थीं. उनके किडनी और लिवर तीन अलग-अलग लोगों को दान किये गए. लिवर चोइथराम हॉस्पिटल में भर्ती मरीज को लगाया गया. एक किडनी सीएचएल हॉस्पिटल और दूसरी किडनी बाम्बे हॉस्पिटल इंदौर में भर्ती मरीज के लिए दान की गयी.
अब डोनेट किये गए अंगों को संबंधित अस्पतालों तक समय रहते पहुंचाना था. इंदौर सोसाइटी फॉर ऑर्गन डोनेशन के अध्यक्ष और संभागायुक्त डॉ. पवन शर्मा और सचिव और महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. संजय दीक्षित ने मिलकर बात की और फिर अंगदान के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया और तीनों अंग समय रहते अस्पताल तक पहुंचा दिये गए.
परिवारवालों ने बताया कि बताया मौत से पहले नेहा अपने अंगदान करने की इच्छा जाहिर कर चुकी थीं. उनकी इच्छा के मुताबिक ही परिवार ने नेहा के अंग दान कर दिये ताकि जरूरतमंद मरीजों को नया जीवन मिल सके. परिवार ने लोगों से भी अंगदान करने की अपील की है.
अंगदान के प्रति इंदौर शहर इतना जागरुक हो चुका है कि तीन दिन के अंदर दूसरी बार ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया. तब इंदौर से भोपाल के बीच ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया था. 52 वर्षीय डॉक्टर संगीता पाटिल को एक्सीडेंट के बाद ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया था. उनकी दोनों किडनी, लिवर, स्किन और आंखें डोनेट की गयी थीं.
एक किडनी इंदौर के चोइथराम हॉस्पिटल में भर्ती मरीज में ट्रांसप्लांट की गयी थी जबकि दूसरी सीएचएल हॉस्पिटल तक ग्रीन कॉरिडोर बनाकर भेजी गयी थी. लेकिन लिवर को भोपाल के निजी हॉस्पिटल में भर्ती मरीज के लिए भेजा जाना था. इसलिए इंदौर से देवास, सीहोर होते हुए भोपाल तक 200 किमी का ग्रीन कॉरिडोर बनाकर ऑर्गन भेजा गया था. इन चारों जिलों के एसपी को भी अलर्ट पर रखा गया था. भोपाल जाते समय एंबुलेंस के आगे फॉलो वाहन मौजूद था और सारे टोल टैक्स खोल दिये गए थे ताकि गाड़ी बिना किसी रुकावट के मंजिल तक पहुंच जाए.
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