ज्यूडिशियल एकेडमी के इस कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि और वक्ता राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि मध्यप्रदेश की संस्कारधानी में मां नर्मदा नदी के पावन स्थल पर आकर मुझे खुशी हो रही है जो अलग ही अनुभूति प्रदान कर रहा है. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने भी जबलपुर को विशेष पहचान दी है.
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि ऐसे में ज्यूडिशियल एकेडमी के उद्देश्य, उनके कार्यपालन के साथ ही कोविड काल मे डिजिटल तकनीक का उपयोग कर न्यायाधीश को तैयार करना काबिले तारिफ है. इसी कड़ी में देश के न्यायालयों के अंदर 76 लाख मामलों की सुनवाई डिजिटल माध्यमो का उपयोग करते हुए न्याय दिलाना, विधि का सही अर्थ उजागर करता है.
कार्यक्रम में मौजूद देश के प्रधान मुख्य न्यायाधीश अरविंद बोबड़े ने कहा कि न्याय एक अनोखी प्रक्रिया है जिसमें सामाजिक परिवेश आर्थिक स्थिति और राजनीतिक स्थितियों को भी समझना बेहद जरूरी होता है. समय के साथ विकसित हो रही न्याय व्यवस्था को हर किसी के लिए समझना जरूरी है.
आज के डायरेक्टर रिट्रीट के माध्यम से सीजेआई बोबड़े ने उम्मीद जताई कि एक बेहतर संवाद स्थापित हो सकेगा. अपने संबोधन में उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय डॉ एपीजे अब्दुल कलाम को भी याद किया.
सीजेआई का कहना था कि आज न्याय क्षेत्र का विस्तार अब हर स्तर पर हो रहा है. उन्होंने न्यायाधीशों के प्रशिक्षण को लेकर भी अहम बात कही. उनका कहना था कि कई राज्यों में न्यायाधीश के चयन के बाद उसे सीधे न्यायालय में भेज दिया जाता है जबकि कुछ राज्यों में पहले राज न्यायिक अकादमी में प्रशिक्षण दिया जाता है. उनकी राय थी कि चयनित न्यायाधीशों को पहले राज्य न्यायिक अकादमी ही भेजा जाना चाहिए.
कार्यक्रम में शिरकत कर रहे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान ने भी अपना संबोधन दिया सबसे पहले उन्होंने मास्क उतारकर अपना संबोधन देने की गुजारिश की. अपने संबोधन में उन्होंने जल्द सस्ता और समय पर न्याय कैसे मिल सके इस बात पर जोर दिया. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान ने कहा कि आज के इस मंथन में कई महत्वपूर्ण बातें निकल कर सामने आएंगी जिस पर मध्य प्रदेश सरकार अमल कराने के लिए हर स्तर पर तैयार है.