कहते हैं कि हिंदू संस्कृति में कन्यादान का अपना विशेष महत्व होता है, पर नरसिंहपुर जिले में जन्मी IAS तपस्या परिहार ने इस परंपरा को तोड़ दिया. उन्होंने अपनी शादी में पिता से कन्यादान नहीं कराया. उनके इस कदम में परिवार ने भी साथ दिया. इस वजह से ये शादी अब चर्चा में है. तपस्या नरसिंहपुर के करेली के पास छोटे से गांव जोबा की रहने वाली हैं. वे 2018 बैच की आईएएस हैं.
उनकी शादी 12 दिसंबर को IFS गर्वित गंगवार के साथ पचमढ़ी में हुई. इस मौके पर तपस्या ने कहा- बचपन से ही मेरे मन में समाज की इस विचारधारा को लेकर प्रश्न था. कैसे कोई मेरा कन्यादान कर सकता है, वह भी मेरी बिना इच्छा के. यही बात धीरे-धीरे मैंने अपने परिवार से चर्चा की. इस बात को लेकर परिवार भी मान गए और वर पक्ष भी इस बात के लिए राजी हो गए कि बगैर कन्यादान किए भी शादी की जा सकती है.
तपस्या ने कहा कि जब दो परिवार आपस में मिलकर विवाह करते हैं तो फिर बड़ा-छोटा या ऊंचा-नीचा होना ठीक नहीं. क्यों किसी का दान किया जाए? जब मैं शादी के लिए तैयार हुई तो मैंने भी परिवार के लोगों से चर्चा कर कन्यादान की रस्म को शादी से दूर रखा. ओशो भक्त तपस्या के पिता विश्वास परिहार कहते हैं कि बेटे और बेटी में कोई अंतर न हो. बेटियों को दान करके उनके हक और सम्पत्ति से वंचित नही किया जा सकता.
वहीं, दूसरी ओर तपस्या के पति IFS गर्वित का भी कहना है कि क्यों किसी लड़की को शादी के बाद पूरी तरह बदलना चाहिए. चाहे मांग भरने की बात या कोई ऐसी परंपरा जो यह सिद्ध करे कि लड़की शादी शुदा है. जबकि, यह लड़के के लिए कभी लागू नहीं होता और इस तरह की मान्यताओं को हमें धीरे-धीरे दूर करने की कोशिश करनी चाहिए.
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