साल 2004 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की कारारी हार के कुछ महीने बाद से ही अटल बिहारी वाजपेयी सियासी पटल से लगभग गायब हो गए हैं. बुढ़ापा और बीमारी के चलते वे डॉक्टरों की निगरानी में अपने घर पर ही रहने को मजबूर हो गए. (फोटो सौ.- lkadvani.in)
25 दिसंबर, 1924 को जन्मे वाजपेयी ने भारत छोड़ो आंदोलन के जरिए 1942 में भारतीय राजनीति में कदम रखा था. 1951 में वाजपेयी ने आरएसएस के सहयोग से भारतीय जनसंघ पार्टी बनाई जिसमें श्यामा प्रसाद मुखर्जी जैसे नेता शामिल हुए.
अटल बिहारी वाजपेयी नौ बार लोकसभा के लिए चुने गए. साल 1962 से 1967 और 1986 में राज्यसभा के सदस्य भी रहे. 16 मई 1996 को अटल बिहारी वाजपेयी पहली बार प्रधानमंत्री बने. लेकिन लोकसभा में बहुमत साबित न कर पाने की वजह से 31 मई 1996 को उन्हें इस्तीफा देना पड़ा.
वाजपेयी सबसे पहले 1996 में 13 दिन के लिए प्रधानमंत्री बने. बहुमत साबित नहीं कर पाने की वजह से उन्हें इस्तीफा देना पड़ा. दूसरी बार वे 1998 में प्रधानमंत्री बने. सहयोगी पार्टियों के समर्थन वापस लेने की वजह से 13 महीने तक वो इस पद पर रहे.
1999 में वाजपेयी तीसरी बार प्रधानमंत्री बने और 5 सालों का कार्यकाल पूरा किया. 5 साल का पूर्ण कार्यकाल पूरा करने वाले वो पहले गैरकांग्रेसी प्रधानमंत्री रहे.
साल 2004 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की कारारी हार के कुछ महीने बाद से ही अटल बिहारी वाजपेयी सियासी पटल से लगभग गायब हो गए हैं. बुढ़ापा और बीमारी के चलते वे डॉक्टरों की निगरानी में अपने घर पर ही रहने को मजबूर हो गए.
साल 2015 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को उनके आवास पर भारत रत्न से सम्मानित किया गया. उस समय राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने वाजपेयी के आवास पर जाकर उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' से सम्मानित किया था.
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