देवांशी (Devanshi Sanghavi) गुजरात की सबसे पुरानी हीरा बनाने वाली कंपनियों में से एक संघवी एंड संस के पितामह कहे जाने वाले मोहन संघवी के इकलौते बेटे धनेश संघवी की बेटी हैं. देवांशी की एक चार साल की बहन है और उनका परिवार जैन धर्म का सदस्य भी है. दीक्षा समारोह गुजरात के एक शहर सूरत में हुआ था. देवांशी ने वरिष्ठ जैन मुनियों की उपस्थिति में 'दीक्षा' ली. (PHOTO- Instagram/devanshi_diksha_danam)
देवांशी अपने माता-पिता के साथ थी जब वह समारोह में बेहतरीन कपड़े और महंगे आभूषण पहनकर पहुंची थी. देवांशी संघवी ने 367 दीक्षा इवेंट्स में भाग लिया और इसके बाद वह सन्यास लेने के प्रति प्रेरित हुई थी. बता दें कि जब कोई व्यक्ति जैन धर्म में दीक्षा लेता है, तो वह अपने कम्फर्ट जोन को छोड़ देता है. वे अपने सभी सांसारिक सुखों को त्याग देता है. (PHOTO-devanshi_diksha_danam)
एक जैन नन के जीवन का मतलब है कि उसे भोजन और बुनियादी जरूरतों के लिए दान पर निर्भर रहना पड़ता है. भिक्षु और भिक्षुणी केवल तभी भोजन ग्रहण कर सकते हैं जब भोजन उनके लिए बना हो. वे अहिंसा के मार्ग पर चलते हैं और एक छोटे से भी जीव को मारने से बचते हैं. देवांशी धार्मिक शिक्षा पर आधारित क्विज में उसने गोल्ड मेडल भी जीता था. (PHOTO- INSTAGRAM/devanshi_diksha_danam)
हिंदी, अंग्रेंजी, संस्कृत, जारवाड़ी और गुजराती भाषाओं में भी देवांशी महारथ हासिल कर चुकी हैं. देवांश संगीत, भारतनाट्यम और योगा भी सीखा हुआ है. 14 जनवरी से ही देवांशी की दीक्षा की शुरुआत हो गई थी. बीते बुधवार को 35 हजार लोगों की मौजूदगी में देवांशी ने जैन धर्म की दीक्षा स्वीकार कर ली थी. (PHOTO-Instagram/devanshi_diksha_danam)
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