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दुनिया के सबसे अमीर देश में पब्लिक ट्रांसपोर्ट हुआ फ्री, फिर पैसे वालों के मुल्क में क्या हुआ...देखिए

लक्जमबर्ग सार्वजनिक परिवहन मुफ्त बनाने वाला दुनिया का पहला देश बना है. यूरोप का ये सबसे छोटे मगर अमीर देश ने लोगों को ट्रैफिक से निजात दिलाने और पर्यावरण को बचाने के लिए ऐसा कदम उठाया. साल 2020 में लक्जमबर्ग ने यह नियम लाया था. आज 3 साल बाद भी ये फ्री सर्विस जारी है और लोगों ने सरकार के इस कार्य की तारीफ कर रहे हैं. अब तो लोग फ्री ट्रान्सपोर्टेशन को अपना मौलिक अधिकार मानने लगे हैं. साल 2020 में लक्जमबर्ग में प्रति 1000 लोगों पर 696 कार थे, परिणामस्वरूप देश को खराब यातायात और उच्च स्तर के जलवायु-ताप उत्सर्जन का सामना करना पड़ता था. लेकिन अब 3 साल बाद देश को दोनों ट्रैफिक और प्रदुषण से रहत मिली है. (सभी फोटो विकिपीडिया और ब्लूमबर्ग से लिए गए हैं)

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लक्जमबर्ग के एक निवासी का कहना है मुफ्त सार्वजनिक परिवहन के कारण उन्हें अपने कारों के घर पर छोड़ने में आसानी होती है. मुफ्त परिवहन के के कारण लोगों को निजी और सार्वजानिक परिवहन चुनने में लोगों को आसानी होती हैं. इसके कारण पर्यावरण पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ा हैं.

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लक्जमबर्ग के एक निवासी ने बताया कि यह व्यवस्था एक अधिकार के रूप में विकसित हुई है. परिवहन निवासियों के लिए एक मौलिक अधिकार है. यदि आपके पास काम करने का अधिकार है, तो आपको बहुत अधिक लागत के बिना काम पर जाने का भी अधिकार है.

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29 फरवरी 2020 से, बसों, ट्रेनों और ट्रामों सहित सभी प्रकार के सार्वजनिक परिवहन निवासियों और पर्यटकों के लिए समान रूप से निःशुल्क कर दिया गया था. हालांकि, यात्रियों को प्रथम श्रेणी में यात्रा करने के लिए केवल एक टिकट खरीदने की आवश्यकता होती है.

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सार्वजनिक परिवहन में विशेषज्ञता वाले शोधकर्ता मर्लिन गिलार्ड ने बताया है कि कार की संस्कृति अभी भी बहुत मौजूद है और लोगों को कार से सार्वजनिक परिवहन की ओर आकर्षित करना अभी भी काफी जटिल है. लक्समबर्ग के शिक्षक बेन ड्राटविकि कहते हैं, 'यह एक अच्छी पहल है, यह सार्वजनिक क्षेत्र के पक्ष में है, यह सार्वजनिक क्षेत्र को मजबूत करता है.'

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लक्ज़मबर्ग में पहले टिकट राजस्व € 41 मिलियन प्रति वर्ष था, जो देश की संपूर्ण सार्वजनिक परिवहन प्रणाली की € 500 मिलियन से अधिक की लागत का एक अंश था. ये घाटा मुख्य रूप से उच्च करदाताओं द्वारा हुआ है.

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लक्समबर्ग के उप प्रधान मंत्री फ्रांकोइस बॉश बताते हैं, 'यह काफी बड़ी लागत है, लेकिन ... यह सभी करदाताओं द्वारा भुगतान किया जाता है. चाहे छोटे टैक्स देने वाले हों या जो अधिक करों का भुगतान करते हैं....पैसों (टैक्स) में अंतर हो सकता लेकिन योगदान बराबर का है. नतीजतन, देश की परिवहन प्रणाली में निवेश धीमा नहीं हुआ है.

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वहीं, सरकार यातायात प्रणाली को दुरुस्त करने के लिए नई ट्राम प्रणाली ला रही है जो नियमित और भरोसेमंद है, इससे देश को यातायात से मुक्ति मिलेगी. देश ने अपने रेल नेटवर्क में सुधार के लिए रिकॉर्ड निवेश किया है.

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लक्समबर्ग यूरोप के कई देशों जैसे फ़्रांस, जर्मनी और बेल्जियम जैसे देशों से जुड़ा हुआ है. हालांकि यह योजना सीमा पार लागू नहीं होती है. लेकिन सभी सीमावर्ती निवासियों, विशेष रूप से बेल्जियम, जर्मनी और फ्रांस के लोगों को आसानी से यात्रा करने की अनुमति मिलता है. वहीं, लक्समबर्ग के बाहर रह रहे गरीब लोगों को एक निश्चित सीमा तक छूट मिलती है.

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    दुनिया के सबसे अमीर देश में पब्लिक ट्रांसपोर्ट हुआ फ्री, फिर पैसे वालों के मुल्क में क्या हुआ...देखिए

    लक्जमबर्ग के एक निवासी का कहना है मुफ्त सार्वजनिक परिवहन के कारण उन्हें अपने कारों के घर पर छोड़ने में आसानी होती है. मुफ्त परिवहन के के कारण लोगों को निजी और सार्वजानिक परिवहन चुनने में लोगों को आसानी होती हैं. इसके कारण पर्यावरण पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ा हैं.

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