17वीं लोकसभा के पहले सत्र में भरपूर धमा-चौकड़ी देखने को मिल रही है. सदन में सांसदों के शपथ ग्रहण समारोह से ही जमकर नारेबाजी शुरू हो गई थी. जयश्री राम, जय मां काली, राधे-राधे, जय बांग्ला, वंदे मातरम, जय हिंद, भारत माता की जय और अल्लाहू अकबर तक गूंजा. इस दरम्यान हर वो सांसद सुर्खियों ने छाया रहा, जिसने नारेबाजी के बीच शपथ के दौरान नारा लगाने वालों पर करारा प्रहार किया. दूसरी तरफ शादी कर के सीधे शपथ लेने पहुंचकर महिला सांसद ने सुर्खियां बटोरी, तो कुछ सांसदों ने अपने भाषणों से पूरे देश में चर्चा का विषय बने हुए हैं. आइए जानते हैं, उन प्रमुख सांसदों के बारे में जिन्होंने पहले ही सत्र में लोगों का ध्यान अपनी खींचा है.
टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा अपने पहले भाषण के बाद जमकर तारीफें बटोर रही हैं. हालांकि दूसरा पक्ष उनके बीजेपी सरकार को फासीवादी बताने को लेकर निंदा भी कर रहा है. लेकिन फिलवक्त वह सुर्खियां बटोरने में सफल रही हैं. उन्होंने अपने पहली भाषण में होलोकॉस्ट मेमोरियल म्यूज़ियम की मेन लॉबी में 2017 में प्रदर्शित हुए एक पोस्टर के हवाले से जर्मनी में 1940 के दशक की नाज़ी हुकूमत में यहूदियों की सामूहिक हत्या की याद दिला दी. इसे फासीवाद के शुरुआती संकेत माने जाते हैं.
टीएमसी सांसद नुसरत जहां-मिमी चक्रवर्ती ने अपना पहला सवाल पूछकर अपनी अभिनेत्री और खूबसूरत सांसद से ऊपर सुर्खियां बटोरीं. एक तरफ नुसरत जहां से शादी चार दिन बाद ही संसद में पहुंच कर शपथ लेने, मांग में सिंधूर भरने को चर्चा में रहीं. तो मिमी चक्रवर्ती और नुसरत जहां दोनों ने ही लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़्ला के पैर छूकर भी चर्चा आईं.
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष चुने गए अधीर रंजन चौधरी भी पहले भाषण से सुर्खियां बटोरने में सफल रहे. उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी को साल 2014 के भाषणों की याद दिलाते हुए कहा कि अगर सोनिया-राहुल चोर हैं तो उनके सामने संसद में कैसे बैठे हैं. उन्होंने अभिनंदन की मूंछों को राष्ट्रीय मूंछे घोषित करने की मांग की. अपने करीब एक घंटे भाषण में उन्होंने नरेंद्र मोदी सरकार को सभी बड़े मोर्चों पर आत्मविश्वास के साथ और अपने तेवर में घेरा.
ओडिशा के मोदी नाम से मशहूर बीजेपी सांसद प्रताप चंद्र सारंगी भी अपने भाषण के बाद से चर्चा में आ गए. उन्होंने ये कहकर सुर्खियां बटोरी थीं कि जो लोग भारत के टुकड़े-टुकड़े करने तक जंग रहेगी, पाकिस्तान जिंदाबाद, अफजल गुरू जिंदाबाद के नारे लगाते हैं, क्या उन्हें देश में जीने का अधिकार है.
बीजेपी सरकार के पिछले कार्यकाल में 21 महीने मंत्री रहने के बाद पहली बार संसद में बोलने का मौका पाने वाले केजे अल्फोंस भी चर्चा बटोरने में सफल रहे. उन्होंने कहा कि जब वे सांसद बने तो लोगों ने उनसे चर्च जलने व कई ऐसे सवाल पूछे जिससे उनके क्रिश्चियन होने का नाता था. लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. धर्म की आड़ में लोगों को बरगलाने वालों को उन्होंने आड़े आथों लिया. वे पिछली सरकार में टूरिज्म मंत्री थे.
समाजवादी पार्टी सांसद शफीकुर रहमान बर्क ने सदन में अपने भाषण के बाद खबरों में आ गए. बर्क ने बुधवार को कहा कि मुसलमान अल्लाह के भरोसे जिंदा है, कांग्रेस-भाजपा या मोदी के भरोसे नहीं. मुसलमान भारत (यहां पर) में रहेगा. देश और अपनी कौम की खिदमत करेगा और मुल्क को आगे बढ़ाएगा. बर्क ने कहा है कि मुसलमानों को डिमोरलाइज (हतोत्साहित) करने की बात की जा रही है, लेकिन मुसलमान डिमोरलाइज होगा नहीं. साथ ही उन्होंने सपा-बसपा के गठबंधन के पीछे भी बीजेपी के हाथ होने का आरोप लगाया.
रामदास अठावले संसद में अपनी तुकबंदी वाली कविताओं को लेकर पहले भी लोगों का आकर्षण खींचते रहे हैं. 17वीं लोकसभा के पहले सत्र में भी एक बार वैसी ही स्थिति बनी जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी के जन्मदिन के एक दिन पहले उन्होंने कांग्रेस और राहुल पर कटाक्ष करते हुए अपनी तुकबंदी पढ़ी.
आम आदमी पार्टी नेता संजय सिंह ने सदन में बीजेपी-कांग्रेस-टीएमसी सांसदों के सदन में दिए गए भाषणों और लगाए गए नारों पर निशाना साधकर सुर्खियां बटोरी. उन्होंने झारखंड की लिंचिंग मामले के बाद देश की आजादी में मुसलमानों के योगदान का उल्लेख किया.
बीजेपी सांसद राजीव प्रताप रूढ़ी ने बीएसएनएल के नेटवर्क आदि समस्या पर सवाल खड़ा कर के चर्चा में आ गए. उन्होंने अपनी सरकार की सेवाओं पर सवाल उठाया. इसके अलावा हर बार की तरह पीएम नरेंद्र मोदी का सदन में भाषण चर्चा में रहा. असदुद्दीन ओवैसी और आनंद शर्मा के बयानों ने भी सुर्खियां बटोरीं.
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