Turkey-Syria Earthquake: तुर्की और सीरिया में आए कहर बरपाने वाले भूकंप ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया. बताया जा रहा है कि हादसे में 15 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है. बड़ी तादाद में लोग अभी भी मलबे में फंसे हुए हैं. भारत, चीन और अमेरिका सहित कई देशों ने तुर्की और सीरिया को मदद भेजी है. इसमें बचाव दल के साथ-साथ मेडिकल व्यवस्था और राहत सामग्री भी शामिल है.
तुर्की के गाजियानटेप में एनडीआरएफ की दो टीम की तैनाती हुई है, इसके अलावा तीसरी टीम भी तुर्की पहुंच चुकी है.
कुल मिलाकर एनडीआरएफ के 151 जवान राहत और बचाव कार्य को तुर्की में अंजाम दे रहे हैं. इस हादसे के मद्देनजर एनडीआरएफ खास तैयारी और ट्रेनिंग भी अपने जवानों को लगातार दे रहा है.
तुर्की में जिस जगह पर एनडीआरएफ की टीम मौजूद है वहां एक बिल्डिंग गिरी है. इसमें से तीन बॉडी को निकाला गया है.
कुल मिलाकर एनडीआरएफ के रेस्क्यू ऑपरेशन को तीन हिस्सों में बांटा गया है, जिसे सीएसएसआर (CSSR) , एमएफआर (MFR) और सीबीआरएन (CBRN) शामिल हैं.
तुर्की में रबल यानी मलबा सबसे ज्यादा परेशानी का सबब साबित हो रहे है. ज्यादातर बिल्डिंग पैनकैक कौलैप्स है. पूरी बिल्डिंग एक ही जगह गिर गई है. पैनकेक कौलैप्स सबसे ज्यादा खतरनाक माना जाता है.
एनडीआरएफ के इस बचाव और राहत कार्य में सबसे खास बात यह है बिना लोकल एडमिनिस्ट्रेशन को प्रेशर किए खुद अपने संसाधनों के जरिए एनडीआरएफ वहां पर है और राहत बचाव कार्य को अंजाम दे रहा है.
एनडीआरएफ के कमांडेंट प्रवीण कुमार तिवारी के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय स्तर के मापदंडों का पालन करते हुए यह पूरी ड्रिल कंडक्ट की जा रही है. नेपाल हादसे के बाद हमने बहुत सारी बारीकियों को ध्यान में रखा है.
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