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बाड़मेर में बीएसएफ का कमाल, भारत-पाकिस्तान सरहद पर बना रहा है 'ग्रीन वॉल'- PHOTOS

बाड़मेर में बरसों से देश की सीमा का रखवाला रहा सीमा सुरक्षा बल (BSF) अब भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सरहद (India-Pakistan international border) पर कंटीली तार के पास 4 हजार बरस पुरानी मटका थिम्बक पद्धति (Thimbak method) से हरियाली की दीवार खड़ी करने में जुटा है. इस पद्धति से अफ्रीका जैसे देशों में 4 हजार साल पहले से लोग खेती करते आए हैं.

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मुल्क की सरहद पर बरसों से मुस्तैदी से डटी बीएसएफ अब पर्यावरण सरंक्षण को लेकर अभूतपूर्व पहल कर रहा है. बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स इंडो-पाक बॉर्डर पर पहली बार लाखों देशज पौधे लगा रही है. इन पौधों को विकट प्राकृतिक परिस्थितियों में जिंदा रखने के लिए मटका थिम्बक पद्धति को अपनाया जा रहा है.

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बाड़मेर जिले में भारत-पाकिस्तान सीमा पर अकेले बीएसएफ के जवान 4 लाख पौधों को लगाकर वहां ग्रीन वॉल तैयार कर रहे हैं. सरहद की कंटीली तार के पास खड़ी होने वाली यह हरितमा की दीवार रेगिस्तान के बंजरपन और सूखे को काफी हद तक खत्म करने का काम करती नजर आएगी.

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सीमा सुरक्षा बल इस बार खुद के स्तर पर नर्सरी बनाकर भी लोगों को पौधे देकर हरियाली को बढ़ावा देने के लिए कदम बढ़ा रही है. बाड़मेर में गडरारोड़ फारवर्ड सीमा चौकी पर सीमा सुरक्षा बल खुद की नर्सरी बनाकर लोगों को पौधरोपण के लिए प्रोत्साहित कर रहा है. यहां पर अभी 8216 पौधों को तैयार किया चुका है. मानसून में यह पौधे लोगों को देकर मटका थिम्बक पद्धति को प्रोत्साहित किया जायेगा.

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बाड़मेर जिले में अकाल और पानी की कमी के कारण पौधे भी नहीं लग पाते हैं. ऐसे में सीमा सुरक्षा बल नई पहल करते हुए सीड्स बॉल और मटका पद्धति से ग्रीन वॉल तैयार करने में जुटी है. ईरान, दक्षिण अमेरिका, ब्राजील, इंडोनेशिया और जर्मनी जैसे देशों में भी पौधरोपण के लिए इस प्रक्रिया को अपनाया जाता रहा है.

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सीमा सुरक्षा बल की 142वीं बटालियन के कमांडिंग ऑफिसर राजपाल सिंह ने बताया कि मटका थिम्बक पद्धति में पौधे से कुछ दूरी पर जमीन के अंदर मटके को गाड़ दिये जाते हैं. इस मटके में छोटे-छोटे छेद होते हैं. जब भी कभी पौधे को पानी पहुंचाना होता है तो सीधे पानी पौधे में डालने की जगह मटके में डाला जाता है. इससे पानी की एक-एक बूंद का सदुपयोग होता है.

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गुजरात फ्रंटियर के उप महानिरीक्षक विनीत कुमार भी अपने जवानों का पौधारोपण में कंधे से कंधा मिलाकर साथ दे रहे हैं. वे जवानों का हौसला अफजाई करते हुए बताते हैं कि 142वीं बटालियन के राजपाल सिंह ने अपनी मेहनत से सीड्स बॉल और मटका पद्धति से सरहद को हरा भरा करने का काम कर रहे हैं. अभी करीब 3 लाख सीड्स बॉल तैयार कर ली है. आगे लक्ष्य है कि इसे 10 लाख तक पहुंचाया जाए.

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एक तरफ देशभर में पानी बचाने की बात हो रही है तो दूसरी तरफ बारिश के पानी के बूंद-बूंद को सहेजे जाने की जरूरत की भी तमाम कोशिशें की जा रही हैं. ऐसे में सीमा सुरक्षा बल मटका थिम्बक पद्धति जैसी तकनीक के महत्त्व को बढ़ाकर कुदरत की सुरक्षा के लिए नए आयाम खड़े करती नजर आ रही है.

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    बाड़मेर में बीएसएफ का कमाल, भारत-पाकिस्तान सरहद पर बना रहा है 'ग्रीन वॉल'- PHOTOS

    मुल्क की सरहद पर बरसों से मुस्तैदी से डटी बीएसएफ अब पर्यावरण सरंक्षण को लेकर अभूतपूर्व पहल कर रहा है. बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स इंडो-पाक बॉर्डर पर पहली बार लाखों देशज पौधे लगा रही है. इन पौधों को विकट प्राकृतिक परिस्थितियों में जिंदा रखने के लिए मटका थिम्बक पद्धति को अपनाया जा रहा है.

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