चित्तौड़गढ़ के नाहरगढ़ के रहने वाले शंकर लाल जाट और उनकी पत्नी परम बाई की कोई संतान नहीं थी. बेटी की शादी और कन्यादान उनका सपना था. तब उन्होंने गाय को बेटी मानकर उसकी शादी करने का फैसला लिया. उन्होंने गौशाला से गाय और नंदी को गोद लिया, शुभ मुहुर्त में फिर शादी कराई. इस शादी समारोह में पूरा गांव शामिल हुआ.
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