सिकराय (दौसा) विधायक ममता भूपेश : गहलोत मंत्रिमंडल में शामिल एकमात्र महिला सदस्य ममता भूपेश ने इस बार बीजेपी के विक्रम बंसीवाल को करीब 34000 मतों से हराया है. ममता भूपेश ने 2008 में भी सिकराय विधानसभा सीट से ही चुनाव जीता था और वे पूर्ववर्ती गहलोत सरकार में संसदीय सचिव रही. वर्ष 2013 में भी ममता भूपेश को राजपा की गीता वर्मा से चुनाव हार गई थी. दूसरी बार विधायक बनी ममता भूपेश संगठन की सक्रिय कार्यकर्ता व प्रखर वक्ता हैं. वर्तमान में राष्ट्रीय महिला कांग्रेस की महासचिव भी हैं.
लक्ष्मणगढ़ (सीकर) विधायक गोविंद सिंह डोटासरा : पेशे से वकील डोटासरा तीसरी बार लगातार विधायक बने हैं. पूर्व में लक्ष्मणगढ़ के प्रधान और सात वर्ष तक सीकर जिला कांग्रेस कमेटी के विधायक रह चुके हैं. गत बार कांग्रेस विधायक दल के सचेतक रहे हैं. विधानसभा में पार्टी की आवाज को बुलंद करने वालों में पार्टी का प्रमुख चेहरा हैं.
कोलायत (बीकानेर) विधायक भंवर सिंह भाटी : कोलायत से बीजेपी के दिग्गज नेता एवं पूर्व मंत्री देवीसिंह भाटी को हराने वाले भंवर सिंह भाटी भी लगातार दूसरी बार जीते हैं. युवा राजपूत चेहरा है. विधानसभा चुनाव-2013 में जहां देवी सिंह भाटी को हराया था, वहीं इसी बार भाटी की पुत्रवधू पूनम कंवर को हराया है.
सांचोर (जालोर) विधायक सुखराम विश्नोई: 3 मई 1953 को जन्मे सुखराम विश्नोई सांचोर से लगातार दूसरी बार विधायक चुने गए हैं. सुखराम के पिता कोजाराम विश्नोई 33 साल तक केरिया गांव के सरपंच रह चुके हैं. बीए, एलएलबी पास सुखराम विश्नोई ने राजनीतिक करियर की शुरुआत पंचायत समिति सदस्य से की थी. वे एक बार उपप्रधान व एक बार सांचोर के प्रधान भी रहे हैं.
अलवर ग्रामीण (अलवर) विधायक टीकाराम जुली : एलएलबी शिक्षा प्राप्त टीकाराम जुली 2004 में अलवर के जिला प्रमुख बने थे. टीकाराम अलवर के सबसे युवा जिला प्रमुख रहे हैं. इसके बाद 2008 में पहली बार कांग्रेस पार्टी के टिकिट पर पुर्नगठन में बनी अलवर ग्रामीण विधामसभा से चुनाव लड़े और जीत हासिल की. 2013 के चुनाव में टीकाराम को हार का सामना करना पड़ा. लेकिन 2018 में एक बार फिर उन्होंने जीत हासिल कर अपना दमखम दिखाया है.
वैर (भरतपुर) विधायक भजनलाल जाटव : वैर क्षेत्र से लगातार दूसरी बार जीत दर्ज कराने वाले भजनलाल जाटव पेशे से किसान हैं. करीब 52 वर्षीय जाटव शुरू से ही कांग्रेस से जुड़े रहे हैं. वैर के झालाताला गांव निवासी जाटव इस क्षेत्र से मंत्री बनने वाले दूसरे शख्स हैं. इससे पहले इस सीट से विधायक रहे जगन्नाथ पहाड़िया प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं.
हिंडौली (बूंदी) विधायक अशोक चांदना : बूंदी के श्योपुरिया की बावड़ी में देवलाल चांदना के घर में जन्मे अशोक चांदना ने यूथ कांग्रेस में प़देश अध्यक्ष बनकर राजनीति की शुरुआत की. पार्टी के इस युवा चेहरे ने वर्ष 2013 में हिण्डौली सीट से चुनाव लड़कर जीत हासिल की. इस चुनाव में मोदी लहर में हाड़ौती संभाग के चार जिलों की 17 विधानसभा सीटों में से केवल चांदना ही कांग्रेस को विजयी दिला पाए थे. वर्ष 2014 में भीलवाङा लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए. वे दूसरी बार लगातार विधायक बने हैं.
भरतपुर विधायक सुभाष गर्ग : माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष रहे सुभाष गर्ग पहली बार चुनाव मैदान में उतरे और विजयी रहे. कांग्रेस के सहयोगी दल राष्ट्रीय लोकदल के बैनर पर चुनाव मैदान में उतरे गर्ग ने भरतपुर में लगातार तीन बार से विधायक बीजेपी के विजय बंसल को हराया है. कांग्रेस ने भरतपुर सीट गठबंधन के तहत अपने सहयोगी दल आरएलडी को दी थी.
बांसवाड़ा विधायक अर्जुन सिंह बामनिया: तीसरी बार विधायक बने हैं. बामनिया पहली बार 2003 में दानपुर सीट से विधायक बने थे. 2008 में बांसवाड़ा विधानसभा सीट से जीते. उसके बाद 2018 में अब फिर बांसवाड़ा विधानसभा सीट से तीसरी बार निर्वाचित हुए हैं. वर्तमान में उनके पास संगठन में प्रदेश सचिव का पद भी है.
कोटपूतली (जयपुर) विधायक राजेन्द्र यादव: लगातार दूसरी बार विधायक चुने गए यादव की यादव समाज पर अच्छी पकड़ मानी जाती है। यादव पूर्व में संगठन में जयपुर ग्रामीण के जिलाध्यक्ष रहे हैं। लोकसभा चुनाव में यादव वोटों को साधने के लिए उन्हें मंत्री बनाने की कवायद की गई है.