दो दिन बाद 14 जनवरी को मकर संक्रांति पर जयपुर का आसमां पतंगों से अटने वाला है. दिनभर छतों पर वो काटा, वो मारा की गूंज रहेगी. इस बार आसमान में कई नेता हवा में उड़ते हुये नजर आयेंगे. देशभर में चल रहे राजनीतिक माहौल की छाया इस त्योहार पर भी रहेगी. इसकी बानगी आपके सामने है. जयपुर के बाजार में इस बार नेताओं वाली पतंगें काफी चर्चा में है. पतंग बनाने वाले कारीगरों ने नेताओं की आम जनता में पकड़ परखने के लिये उनके फोटो वाली पतंगे बाजार में उतारी हैं. इनमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से लेकर देशभर के तमाम बड़े नेताओं के तस्वीरों वाली पतंगों से बाजार सजा है. इस त्योहार पर एक दूसरे की पतंग काटने के लिये जयपुरवासी अपनी जान लगा देते हैं.
बाजार में आकाश नापने वाली पतंगों के बीच इनमें देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दबदबा कायम है. विभिन्न स्लोगन के साथ उनकी पतंगे बाजार में मौजूद हैं. वहीं प्रदेश के मुखिया अशोक गहलोत भी पतंगों पर सवार होकर आकाश में जादूगरी दिखाने को तैयार हैं. सचिन पालयट, वसुंधरा राजे, अरविंद केजरीवाल और औवेसी भी पीछे नहीं हैं. वे भी अपना हुनर दिखायेंगे. राहुल गांधी और महाराष्ट्र के उद्धव ठाकरे भी आकाश में उड़ने को बेताब हैं.
कई जगह तो पतंगों को पार्टियों का भी रंग दिया गया है. जयपुर के दबंग नेताओं में गिने जाने वाले प्रताप सिंह खाचरियावास भी पतंग पर चस्पा हैं. वहीं चार दिवारी में विधायक बने आमीन कागजी भी कागजों की पतंग पर जगह बनाने में कामयाब हुए हैं. इतना ही नहीं कई पार्षदों की पतंगे भी अब आकाश में विधायकों की बराबरी करती नजर आएंगी. कारीगर अब्दुल गफ्फार बताते हैं कि उन्होंने यह हुनर अपने बुजुर्गों से सीखा है. जयपुर में एकमात्र वे ही कारीगर हैं जो इस तरह की पतंगों को बनाते हैं.
इस बार आकाश में उड़ती पतंगों पर एक तरफ जहां केन्द्र से लेकर राज्य और मोहल्लों के नेताजी सवार होंगे. वहीं पतंगों के बाजार में आपकी पूर्व और वर्तमान सरकार मौजूद है. जयपुर के हांडी पुरा स्थित पतंगों के एक कारीगर ने इन नेताओं की पतंगें बनाई हैं. इनमें केन्द्र सरकार से लेकर जयपुर के पार्षदों तक को तवज्जो दी गई है. पतंगों की दुकानों और गोदामों में देखने से लगता है की इस बार पूरे देश की राजनीति हवा में उड़ने वाली है. जनता अपने अंगुलियों के ठुमके से पतंगों पर सवार इन नेताओं को अपने इशारों पर आसमान में नचायेंगे.
पतंग बनाने वाले कारीगरों ने नेताओं को हल्के में नहीं लिया है. यही वजह है कि वे हल्की हवा में नहीं उड़ पाएंगे. उनके लिए भारी हवा की जरुरत पड़ेगी. विशेष रूप से बनाई गई यह पतंगें प्रदेश के सांसदों, विधायकों और पार्षदों के साथ साथ अन्य राज्यों के महत्वपूर्ण नेताओं को भी आकाश में जगह देगी. सत्ता के खिलाड़ी अब आकाश में एक-दूसरे के पेच काटते नजर आऐंगे. राजनीति में भले ही कोई कितना ही दमखम रखता हो लेकिन मकर सक्रांति पर उनकी ढील और खींच जनता तय करेगी.
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