कोटपूतली से 15 किमी दूर पहाड़ी पर स्थित छापला वाले भैंरूबाबा के मंदिर में लगने वाले इस मेले के लिए करीब एक माह पहले से ही तैयारियां शुरू हो जाती है. इस मेले में शिरकत करने के लिए राजस्थान, हरियाणा और एमपी समेत विभिन्न राज्यों से श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं. मेले के सफल आयोजन के लिए 20 स्कूलों के करीब 4000 स्वयंसेवक, 2500 पुरुष कार्यकर्ता, 400 महिला स्वयंसेवक और दर्जनों स्वयंसेवी संस्थाएं अपनी सेवाएं देंगे.
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सोनगिरि पोषवाल नामक श्रद्धालु भैंरूबाबा की मूर्ति को यहां स्थापित करवाना चाहता था. भैंरू बाबा की मूर्ति लाने के लिए वह काशी चला गया. भैंरूबाबा ने सपने में आकर उसके पुत्र की बलि मांगी. इस पर उसने अपने पुत्र की बलि दे दी. बलिदान की परीक्षा से प्रसन्न होकर भैंरूबाबा ने उसके पुत्र को वापस जीवित कर दिया.
उसके बाद उन्होंने यहां भैंरूबाबा की मूर्ति पंचपीरो के साथ गांव में स्थापित कर दी. आज भी प्राचीन पंचदेव खेजड़ी वृक्ष की पूजा की जाती है. इस मेले में पूर्व डिप्टी सीएम पायलट के अलावा गृह राज्यमंत्री राजेन्द्र यादव और जयपुर ग्रामीण सांसद कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ समेत कई जनप्रतिनिधि हिस्सा लेंगे. समारोह में दो लाख श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है.
यहां बनने वाली 350 क्विंटल महाप्रसादी में के चूरमे के लिए 125 क्विंटल आटा, 45 क्विंटल सूजी, 26 क्विंटल देसी घी, 85 क्विंटल बुरा (पिसी हुई चीनी) का उपयोग किया जा रहा है. इसके साथ ही 12 क्विंटल मावा, ढाई क्विंटल काजू, ढाई क्विंटल बादाम, ढाई क्विंटल किशमिश, 6 क्विंटल कटिंग मिश्री, 3 क्विंटल खोपरा (नारियल), 51 क्विंटल दूध मिलाया जाएगा.
महाप्रसादी में देशभर में करीब दो लाख लोगों के आने की संभावना है. कार्यक्रम में भजन गायन होता है. महाप्रसादी का भोग लगता है. नेहड़ा होता है. नेहड़ा में भैंरू बाबा की महिमा का बखान किया जाता है. मेले में आने वाले श्रद्धालु यहीं पर प्रसादी लेते हैं. इस आयोजन में भैंरू बाबा के भक्त दिल खोलकर श्रद्धालुओं की सेवा करते हैं. यहां आने वाले श्रद्धालु आयोजन के प्रबंधन में हाथ बंटाते हैं.
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