कांग्रेस ने जयपुर हैरिटेज और ग्रेटर नगर निगम में महापौर के दोनों प्रत्याशी गुर्जर समाज से उतारकर गुर्जर आरक्षण के मुद्दे और पिछले दिनों सियासी घमासान में सचिन पायलट फैक्टर से हुए डैमेज को कंट्रोल करने का प्रयास किया है. (फाइल फोटो)
निगम चुनावों में राजधानी जयपुर में खेले गये कांग्रेस के गुर्जर कार्ड को सचिन पायलट फैक्टर को बैलेंस करने से जोड़कर देखा जा रहा है. राजनीति के जानकार कांग्रेस के इन प्रयासों को गुर्जर समुदाय में पायलट के पैरलल सैंकंड लाइन की लीडरशिप तैयार करने से जोड़कर देख रहे हैं. हालांकि कांग्रेस के नेता इसके पीछे दूसरे तर्क दे रहे हैं और पायलट गुट इसे ख्याली पुलाव बता रहा है. लेकिन राजनीतिक विश्लेषक इसमें पायलट फैक्टर को नकार नहीं रहे हैं.
माना जा रहा है कि कांग्रेस ने गुर्जर आरक्षण आंदोलन और पायलट फैक्टर से हुये नुकसान की भरपाई करने के लिये नई रणनीति बनाई है. एक तरफ सीएम अशोक गहलोत गुर्जर आरक्षण आंदोलन से निपटने के लिये तमाम कानूनी पहलुओं का गहराई से परीक्षण करवाकर मसले का गंभीरता से हल ढूंढने में लगे हैं. वहीं, दूसरी तरफ वे राजनीतिक समीकरणों के जरिये गुर्जर समाज का साधने का भी पूरा प्रयास कर रहे हैं.
नगर निगम चुनाव कांग्रेस के नवनियुक्त प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के लिये भी अग्निपरीक्षा है. वे अगर जयपुर में अपनी रणनीति में सफल होते हैं तो उनका राजनीतिक कद बढ़ना तय है. लिहाजा वे प्रत्येक कदम तमाम परिस्थितियों को देखते हुये फूंक-फूंककर रख रहे हैं.
इस सियासी घटनाक्रम में बीजेपी भी पूरे राजनीतिक दांवपेच आजमा रही है. कांग्रेस के सियासी घमासान में पायलट की पैरवी कर उनके प्रति सहानुभूति जताने वाली बीजेपी ने भी इस माहौल में गुर्जर समाज के नजदीक जाने के लिये जयपुर में बहुमत वाले ग्रेटर नगर निगम में गुर्जर प्रत्याशी उतारकर उसे राजनीतिक संदेश देने का प्रयास किया है. यह चुनाव बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया के लिये भी प्रतिष्ठा के प्रश्न बने हुये हैं.
यह दीगर बात है कि बीजेपी-कांग्रेस के इन प्रयासों का गुर्जर समाज और उसके आरक्षण आंदोलन पर क्या असर पड़ेगा ? गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला गुट का कहना है कि उन्हें हर बार कागजी समझौतों में उलझा कर छोड़ दिया जाता है. लेकिन उन वादों को पूरा नहीं किया जाता, जिसके कारण उन्हें बार-बार पटरियों पर आना पड़ता है. इस बार वे किसी भी झांसे में नहीं आयेंगे.