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PHOTOS: राजस्थान के बोयतराम डूडी 64 साल से ले रहे पेंशन, अफ्रीका से लीबिया तक संभाला था मोर्चा

शेखावाटी के झुंझुनूं जिले के बोयतराम डूडी (Boyatram Dudi) 98 साल के हो चुके हैं. डूडी आजकल पूरे देश में सुर्खियों में बने हुये हैं. इसकी वजह है इनका अनूठा रिकॉर्ड. बोयतराम पूर्व सैनिक हैं. वह दूसरे विश्व युद्ध में जंग लड़ चुके हैं. अफ्रीका से लेकर लीबिया तक मोर्चा संभाल चुके हैं. वह संभवतया राजस्थान के अकेले व्यक्ति हैं जो 1957 से लगातार सरकारी पेंशन पा रहे हैं. बहादुरी के लिए चार मेडल मिल चुके हैं. 19 रुपये से पेंशन शुरू हुई थी जो अब 35 हजार के करीब हो चुकी है. रिपोर्ट- इम्तियाज भाटी.

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बोयतराम झुंझुनूं जिले के के गुढ़ागौड़जी के भोडक़ी गांव रहने वाले हैं. इनका जन्म वर्ष 1923 में हुआ. ये 19 साल की उम्र में फौज में भर्ती हो गए थे. बोयतराम ने दूसरे विश्व युद्ध में अपना कौशल दिखाया था. बोयतराम बताते है कि उन्होंने दूसरे विश्व युद्ध में छह स्थानों पर अपनी सेवाएं दी. बोयतराम ने लीबिया और अफ्रीका में जंग लड़ी. इनकी पोस्टिंग सेना की राजरिफ में थी.

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बोयतराम 1957 में सेना से रिटायर होकर अपने घर आ गये. उस वक्त उनको 19 रुपये पेंशन मिलती थी. वे 64 साल से लगातार सरकारी पेंशन ले रहे हैं. 19 रुपये से शुरू हुई पेंशन अब बढकर 35 हजार रुपये हो चुकी है. वे जिले में सर्वाधिक समय से पेंशन लेने वाले पूर्व सैनिक हैं.

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बोयतराम को बहादुरी के लिए चार सेना मेडल भी मिल चुके हैं. युद्ध के बाद वापस स्वदेश लौटने के बाद उन्होंने महात्मा गांधी और प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू से भी मुलाकात की थी.

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बोयतराम की उम्र अब 98 साल हो चुकी है. लेकिन उनमें आज भी इतनी हिम्मत है कि वे रोजाना पांच किलोमीटर तक पैदल चलते हैं. खेतों में काम भी करते हैं. भोड़की के सरपंच नेमीचंद बताते हैं कि बोयतराम डूडी 98 साल की उम्र भी पूरी तरह से स्वस्थ हैं. सुबह जल्दी उठना उनकी शुरू से दिनचर्या में शामिल है. ग्रामीण उनका काफी सम्मान करते हैं.

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बोयतराम डूडी बड़े गर्व से बताते हैं कि उन्होंने बहुत बहादूरी के साथ जंग लड़ी थी. उनकी टुकड़ी के काफी जवान शहीद हो चुके थे, इसके बावजूद भी उन्होंने जंग जारी रखी. वे पिछले 64 बरसों से सरकारी पेंशन ले रहे हैं. वे अपने जीवन से खुश हैं. ग्रामीणों ने बोयतराम को ग्राम गौरव अवार्ड देकर भी सम्मानित किया है.

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    PHOTOS: राजस्थान के बोयतराम डूडी 64 साल से ले रहे पेंशन, अफ्रीका से लीबिया तक संभाला था मोर्चा

    बोयतराम झुंझुनूं जिले के के गुढ़ागौड़जी के भोडक़ी गांव रहने वाले हैं. इनका जन्म वर्ष 1923 में हुआ. ये 19 साल की उम्र में फौज में भर्ती हो गए थे. बोयतराम ने दूसरे विश्व युद्ध में अपना कौशल दिखाया था. बोयतराम बताते है कि उन्होंने दूसरे विश्व युद्ध में छह स्थानों पर अपनी सेवाएं दी. बोयतराम ने लीबिया और अफ्रीका में जंग लड़ी. इनकी पोस्टिंग सेना की राजरिफ में थी.

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