कोटा राज परिवार ने इस प्रकार की कला को संरक्षण दिया था. वहीं से इस साड़ी को महत्व मिलने लगा. मैसूर से आए कुछ परिवारों ने कैथून में कोटा डोरिया साड़ी बनाने का काम शुरू किया था और वह वक्त के साथ-साथ बढ़ता चला गया. कोटा डोरिया साड़ी की खास और अहम बात यह है कि इसे तैयार करने में मशीन का प्रयोग नहीं किया जाता. यह पूरी तरह से हाथों से ही तैयार की जाती है.
कोटा डोरिया को खास भौगोलिक पहचान के लिए भारत सरकार से इसे जीआई मार्क मिला हुआ है. जीआई टैग मिलने से इन उत्पादों के उत्पादकों को अच्छी कीमत मिलती है और साथ ही अन्य उत्पादक उस नाम का दुरुपयोग कर अपने सामान की मार्केटिंग भी नहीं कर सकते हैं. दरअसल कोटो के 12 गांव के अलावा अन्य कहीं ये साड़ियां बनाना अवैध है.
कोटा डोरिया की साड़ी वजन में हल्की होती हैं. इसे बनाने में असली रेशम के साथ साथ सोने व चांदी की जरिया का काम होता है. सादा साड़ी से डिजाइनर साड़ी बनाने में अलग अलग वक्त लगता है. सादा साड़ी की कीमत 1500 रुपए से शुरू है. जबकि डिजाइनर साड़ी की कीमत 15 से 40 हजार तक होती है. वहीं, कई साड़ियां लाखों रुपए में भी बिकती हैं. एक सिंपल साड़ी तैयार करने 5 से 7 दिन का वक्त समय लगता है. जबकि डिजाइन साड़ी बनाने में 20 से 25 दिन का समय लगता है.
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