कोटा जिले में रावतभाटा रोड पर बसा है बोराबास गांव. किसी समय जल संकट से जूझ रहे इस गांव वाशिंदे गर्मियों में चार-पांच महीनों के लिए पशुओं के साथ पलायन करने को मजबूर होते थे. लेकिन बाद उन्होंने आपसी सहयोग और सूझबूझ से ऐसी राह निकाली कि आज किसी को भी पलायन करने की जरूरत महसूस नहीं होती और वे पलायन के दर्द भूल चूके हैं. ग्रामीणों ने अपने बूते पर ऐसे तालाब का निर्माण कर दिया जो अब बरसों से पशुपालकों के लिए जीवनदान बना हुआ है.
चारों तरफ से जंगलों से घिरा होने के चलते बोराबास गांव हमेशा से ही बुनियादी समस्या से लड़ता आया है. गांव में ज्यादातर पशुपालक हैं और उनकी रोजी रोटी का बड़ा जरिया भी पशुपालन और दूध है. गांव में जल सकंट से निजात पाने के लिए ग्रामीणों की एकजुटता और इच्छाशक्ति ने ऐसा काम किया कि गांव के पास ही एक तालाब बना डाला. अब लबालब भरे इस तलाब को देखकर ग्रामीण फूले नहीं समाते हैं. अब सालभर पशुओं के लिए यहां पानी मुहैया रहता है. ग्रामीण समय पर एक साथ मिलकर तालाब की खुदाई से लेकर इसके चारों ओर मजबूत दीवार की सारसंभाल के लिए तत्पर रहते हैं. गांव के बुजुर्गां ने जलसंकट का जो दर्द सहा उससे उन्होंने नई पीढ़ी को मुक्ति दिला दी.
तालाब में बारिश के पानी जंगली क्षेत्र से आता है. पहले यह पानी न केवल फिजूल बह जाता था, बल्कि इससे आसपास के इलाके की फसलों को भी नष्ट कर देता था. वहीं बारिश खत्म होते ही फिर सूखे के हालात बन जाते थे. इस पर ग्रामीणों ने इस समस्या का समाधान करने की ठानी. ग्रामीण दिन में अपने कामकाज से फ्री होकर गांव पहुंचते ही परिवार सहित श्रमदान कर फिजूल बहने वाले पानी को सहजने के लिए तालाब बनाने के कार्य में जुट जाते. सामूहिक प्रयासों से ग्रामीणों ने देखते ही देखते हुए वहां तालाब बना डाला.
अनन्या पांडे से सीखें कैसे ली जाती हैं 'मिरर सेल्फी', PHOTOS में दिखाईं अपनी खूबसूरत अदाएं
करीना कपूर खान सहित इन सेलेब्स की शानदार ड्रेस पर टिकीं लोगों की नजरें- देखें PHOTOS
अमरोहा में हजारों छात्रों ने मानव श्रंखला से बनाया 'भारत' का नक्शा, देखें मनमोहक तस्वीरें
बेंगलुरु का स्ट्रीट फूड चखते नजर आए विदेश मंत्री जयशंकर, पहले नहीं देखा होगा उनका ऐसा अंदाज