राजस्थान में पहली बार हुए इस ऐतिहासिक समारोह का साक्षी बना राजसमंद जिले के बड़ा भानुजा गांव. पालीवाल समाज की आस्था के प्रतीक भगवान लक्ष्मी नारायण जी के विग्रह स्वरूप यहां से करीब 300 साल पहले अन्यत्र ले जाकर स्थापित किए गए थे. दो दिन पहले शुक्रवार को यहां आयोजित समारोह में उनका मिलन कराया गया. आयोजन सुबह से शाम तक चला.
भगवान लक्ष्मी नारायण महामिलन समारोह में 44 श्रेणी पालीवाल समाज के छह आराध्य और 24 श्रेणी पालीवाल समाज के प्रभु जब गाजे बाजे, डीजे और शोभायात्रा के साथ गांव में पहुंचे तो माहौल धर्ममय हो गया. भामाशाह चंद्रशेखर पुरोहित ने बताया कि इस कार्यक्रम का आयोजन का उद्देश्य पालीवाल समाज को एकजुट करना था. इसके साथ ही बरसों पहले गांव से निकले प्रभु के विग्रह स्वरूप का एक साथ मिलन कराना था.
इस मौके पर बड़ा भानुजा के प्रताप चौक पर बाहर से पहुंचे सभी आराध्य देव को पहले एक साथ विराजित किया गया. यहां पूजा अर्चना के बाद शोभायात्रा के रूप में भगवान लक्ष्मी नारायण के मंदिर पर लाया गया. शोभायात्रा में सैकड़ों की संख्या में महिलाएं मंगल कलश लेकर चल रही थीं. रास्ते पर ग्रामीणों ने पुष्प वर्षा कर अपने आराध्य की अगवानी की.
आयोजन समिति के सदस्य पूर्णा शंकर जोशी ने बताया कि करीब 300 साल पहले पालीवाल समाज के लोग गांव से बाहर निकले थे. यहां से ही भगवान के विग्रह स्वरूप को अलग-अलग जगह पर ले जाकर स्थापित किया था. इसके बाद सभी आराध्य देव एक साथ नहीं मिल पाए. समारोह में वरिष्ठ बीजेपी नेता मदन सिंह चौहान गणेश पालीवाल समेत कई अन्य समाज के लोगों ने भी शिरकत की.
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