दो साल पहले शुरू किये गये इस अभियान के तहत अब तक पांच जगह मिनी फॉरेस्ट विकसित किये जा चुके हैं. मियावाकी पद्धति के तहत जंगलों में पाये जाने वाले पेड़ों की प्रजातियों को ही शहरी क्षेत्र में विकसित कर छोटे छोटे भागों में घने जंगल बनाये जाते हैं.
उदयपुर की पुकार संस्थान से जुड़े युवाओं ने इस तकनीक के तहत अरावली के जंगलों की करीब पचास प्रजातियों को चिन्हित कर उनके 3000 से ज्यादा पौधे निर्धारित स्थान पर रोपे. इसके लिये उस जमीन को जंगल की जमीन की तरह तैयार किया और सौ-सौ वर्ग मीटर क्षेत्र में छोटे छोटे जंगल बनाये.
दो साल में अब ये पौधे बड़े हो गये हैं और ये छोटे छोटे जंगल काफी घने नजर आने लगे हैं. पुकार संस्थान के भुवनेश ओझा ने बताया कि उदयपुर शहर के बीचों बीच डाइट कार्यालय, जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय सहित पांच जगह पर ये मिनी फोरेस्ट विकसीत किये गये हैं.
यहां दो साल में अरावली पर्वतमाला के जंगल की प्रजातियां बड़ी हो गई हैं. इस प्रयास से कई युवा और सामाजिक संगठन भी प्रेरित होकर आगे आये हैं और भुवनेश ओझा का साथ दे रहे हैं.
युवाओं की यह टीम अब अपने द्वारा विकसित किये इन मिनी फोरेस्ट को पनपता हुआ देखती हैं तो इनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहता है. इन्हें लगता हैं कि यह छोटे छोटे प्रयास शहर को प्रदूषण मुक्त करने में सफल सिद्ध हो सकते हैं.
प्रदूषण मुक्त बनाने के लिये किये जा रहे इन प्रयासों के बीच इन युवाओं को और ज्यादा उर्जा मिली जब अभिनेत्री प्रियंका चौपडा ने भी एक फोटो डालकर इन युवाओं के प्रयास की तारीफ की. शहर में यदि जगह जगह मिनी फोरेस्ट विकसित होंगे तो यहां की आबोहवा तो स्वच्छ होगी ही.
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