विश्व कप जीतना आसान नहीं होता. यह बात क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर से पूछिए, जिन्होंने अपने छठे और आखिरी प्रयास में वर्ल्ड कप की चमचमाती ट्रॉफी हाथों में उठाई. अभी तक हुए 11 विश्व कप में सबसे ज्यादा ऑस्ट्रेलिया ने पांच खिताब अपने नाम किए हैं. वहीं भारत और वेस्टइंडीज ने दो-दो बार जबकि पाकिस्तान और श्रीलंका ने एक-एक बार यह खिताब जीता. वनडे क्रिकेट के इस सफर में कई महान खिलाड़ी ऐसे भी रहे, जो इस सबसे बड़ी ट्रॉफी को अपने हाथों में नहीं उठा सके. आइए, जानते हैं ऐसे ही खिलाड़ियों के बारे में...
सौरव गांगुली : सौरव गांगुली ने 1999, 2003 और 2007 के विश्व कप में हिस्सा लिया. 2003 में टीम फाइनल में भी पहुंची. गांगुली ने तीन शतक जड़े. मगर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ फाइनल में टीम को हार का सामना करना पड़ा. इसी के साथ विश्व कप जीतने का सपना बेहद करीब आकर टूट गया. बंगाल टाइगर ने विश्व कप में 22 मुकाबले खेले और 55.88 के शानदार औसत के साथ 1006 रन बनाए.
जैक्स कैलिस : दुनिया के सर्वश्रेष्ठ ऑलराउंडरों में शुमार दक्षिण अफ्रीका के जैक्स कैलिस ने वनडे क्रिकेट में 273 विकेट लेने के अलावा 11 हजार से अधिक रन भी बनाए हैं. सालों तक टीम का भार अकेले अपने कंधों पर ढोते रहने के बावजूद वह कभी विश्व कप नहीं जीत सके. उन्होंने 17 शतक और 86 अर्द्धशतक लगाए.
ब्रायन लारा : विश्व क्रिकेट में ब्रायन लारा के रिकॉर्ड और उनका नाम ही उनका कद बताने के लिए काफी है. लारा वनडे क्रिकेट के बादशाह कहे जाते हैं. उनसे पहले बहुत ही कम खिलाड़ी ऐसे रहे जिन्होंने वनडे क्रिकेट में 10 हजार रनों का आंकड़ा छुआ. उन्होंने वेस्टइंडीज के लिए 299 वनडे खेले. असाधारण प्रतिभा और बेहतरीन क्षमता के धनी लारा के हाथ भी कभी विश्व कप की ट्रॉफी नहीं लगी.
राहुल द्रविड़ : टीम इंडिया की दीवार रहे राहुल द्रविड़ ने तीन विश्व कप खेले. 1999 में पहला ही विश्व कप खेलते हुए वे 461 रन बनाकर टूर्नामेंट के टॉप स्कोरर रहे. केन्या और श्रीलंका के खिलाफ लगातार शतक जड़े. श्रीलंका के खिलाफ उन्होंने 145 रन की पारी खेली थी. 2003 में टीम फाइनल में पहुंची तब भी राहुल टीम की रीढ़ बने रहे. मगर फाइनल में मिली हार ने सभी उम्मीदों पर पानी फेर दिया.
इयान बॉथम : इंग्लैंड के दिग्गज ऑलराउंडर इयान बॉथम ने 1979, 1983 और 1992 विश्व कप में हिस्सा लिया. 1983 को छोड़कर दो बार टीम फाइनल तक भी पहुंची, लेकिन जीत कोसों दूर ही रही. 1992 में बॉथम ने 10 मैचों में 16 विकेट भी चटकाए. मगर यह प्रयास टीम को विश्व कप दिलाने के लिए काफी साबित नहीं हुआ. सर्वकालिक महान ऑलराउंडरों में शुमार बॉथम ने 116 वनडे खेले.
एबी डिविलियर्स : दक्षिण अफ्रीका का यह खिलाड़ी बल्ले के साथ वो कारामात दिखाने में माहिर था जो अन्य कोई खिलाड़ी सपने में भी नहीं सोच सकता. वनडे में 53.50 का औसत और सौ का स्ट्राइक रेट उन्हें आधुनिक युग के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों में शुमार करता है. वनडे का सबसे तेज शतक मिस्टर 360 के नाम से मशहूर डिविलियर्स के बल्ले से ही निकला है. उन्होंने वेस्टइंडीज के खिलाफ 31 गेंद पर सैकड़ा जड़ दिया था. 2007, 2011 और 2015 विश्व कप में हिस्सा लेने वाले एबी को हर बार निराशा हाथ लगी. उन्होंने 228 वनडे खेले.
ग्राहम गूच : इंग्लैंड का यह खिलाड़ी विश्व कप जीतने के लिए जो कर सकता था, उसने किया. 1979, 1987 और 1992 में तीन फाइनल खेले. 1992 के फाइनल में कप्तान भी रहे. हर बार खिताब की दहलीज पर हार मिली. 1987 के सेमीफाइनल में भारत के खिलाफ उनके शतक की गिनती ऐतिहासिक पारियों में होती है. 125 वनडे खेलने वाले गूच के नाम प्रथम श्रेणी क्रिकेट में 22,211 रन का रिकॉर्ड भी है.
अनिल कुंबले : अनिल कुंबले का शुमार विश्व क्रिकेट के जेंटलमैन क्रिकेटरों में होता है. 1996 में अपने पहले विश्व कप में सर्वाधिक 15 विकेट लेकर दबदबा स्थापित किया. बड़े से बड़ा बल्लेबाज भी उनकी गुगली और फ्लिपर के आगे नौसिखिया नजर आता था. कुंबले का विश्व कप में यादगार प्रदर्शन 2003 में नीदरलैंड के खिलाफ आया जब उन्होंने 32 रन देकर चार विकेट लिए.
एलन डोनाल्ड : दक्षिण अफ्रीका के इस बल्लेबाज का 1999 विश्व कप के सेमीफाइनल में रन आउट होने का नजारा हर क्रिकेट प्रशंसक के जेहन में मौजूद है. अपने समय के बेहतरीन तेज गेंदबाज डोनाल्ड ने चार विश्व कप खेले, लेकिन कभी खिताब नहीं जीत सके. इन चार विश्व कप में उन्होंने 25 मैच खेलकर 38 विकेट चटकाए. सचिन तेंदुलकर के साथ उनकी प्रतिस्पर्धा देखने लायक होती थी.