चेतेश्वर पुजारा की मौजूदा दौर में गिनती टेस्ट क्रिकेट के बेस्ट खिलाड़ियों में होती है. सौराष्ट्र की तरफ से घेरलू क्रिकेट खेलने वाले पुजारा का कभी न हार मानने वाला जज्बा उन्हें दूसरों से अलग बनाता है. वो टीम की जीत के लिए शरीर पर गेंद खा सकते हैं. उनकी बैटिंग भले ही देखने में बहुत आकर्षक न लगे. लेकिन, विरोधी गेंदबाजों का दम निकालने के लिए काफी होती है. इसी वजह से राहुल द्रविड़ के बाद उन्हें टीम इंडिया की नई दीवार कहा जाता है. आज उसी दीवार यानी पुजारा का जन्मदिन है. वो 35 बरस के हो गए हैं. (Cheteshwar pujara instagram)
पुजारा के खून में क्रिकेट रचा-बसा है. उनके पिता अरविंद और चाचा सौराष्ट्र की तरफ से रणजी ट्रॉफी खेल चुके हैं. वहीं, दादा भी अच्छे लेग स्पिनर थे. पुजारा के पहले कोच उनके पिता अरविंद ही थे. लेकिन, उन्हें क्रिकेटर बनाने में उनकी मां की भूमिका भी काफी अहम रही है. पैसों की तंगी के कारण मां ने कभी उधार लेकर पुजारा को बल्ला दिलाया था. यह अलग बात है कि वो बेटे को कभी भारत के लिए खेलते हुए नहीं देख पाईं.(Cheteshwar pujara instagram)
मां ने पुजारा के लिए काफी संघर्ष किया. इस स्टार बैटर ने कम उम्र में ही क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था. ऐसे में पुजारा के साइज के बैटिंग पैड्स बाजार में आसानी से नहीं मिलते थे. ऐसे में मां ने इस परेशानी का हल निकाला और अपने हाथों से पुजारा के लिए पैड्स सिले और वो उसे पहनकर क्रिकेट खेले. (Cheteshwar pujara instagram)
पुजारा ने ऐज ग्रुप क्रिकेट से ही बड़ी पारियां खेलनी शुरू कर दी थी. उन्होंने अंडर-14 के एक मैच में ट्रिपल सेंचुरी ठोकी थी और इंग्लैंड के खिलाफ अंडर-19 के एक मैच में दोहरा शतक ठोका था. उन्होंने सालों-साल फर्स्ट क्लास क्रिकेट में रन बनाए. लेकिन, 6 साल बाद उन्हें भारत के लिए टेस्ट खेलने का मौका मिला. हालांकि, टीम इंडिया में एंट्री के बाद पुजारा ने मिले हर मौके को भुनाया. (Cheteshwar pujara instagram)
2010 में पुजारा ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपनी पहली टेस्ट पारी में तो 4 रन पर आउट हो गए थे. लेकिन, 207 रन का पीछा करते हुए उन्होंने दूसरी पारी में 89 गेंद में 72 रन ठोककर भारत को जीत दिलाई थी. दिलचस्प बात यह है कि बैंगलुरु में खेले गए इस टेस्ट में राहुल द्रविड़ भी टीम इंडिया का हिस्सा थे और दूसरी पारी में उनकी जगह पुजारा 3 नंबर पर उतरे थे और भारत को जीत दिलाई थी. जल्द ही वो संयुक्त रूप से सबसे तेज 1 हजार टेस्ट रन पूरे करने वाले भारतीय बन गए थे. (Cheteshwar pujara instagram)
पुजारा के लिए क्रिकेट सफर आसान नहीं रह. घुटने के ऑपरेशन के कारण उनका लिमिटेड ओवर क्रिकेट करियर ज्यादा नहीं चला. टेस्ट टीम से भी वो अंदर-बाहर होते रहे. लेकिन 2018-19 के ऑस्ट्रेलिया दौरे पर उन्होंने गजब की बल्लेबाजी की और भारत ने ऐतिहासिक टेस्ट सीरीज जीती. उस दौरे पर पुजारा ने 3 शतक ठोके थे उन्होंने सीरीज में 1258 गेंदों का सामना किया था, जो ऑस्ट्रेलिया में चार टेस्ट की किसी सीरीज में किसी मेहमान बल्लेबाज के लिए सबसे अधिक था.(Cheteshwar pujara instagram)
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