Coach Tarak Sinha Demise: भारतीय क्रिकेट को कई बड़े नायाब हीरे देने वाले कोच तारक सिन्हा का कैंसर के कारण निधन हो गया. 71 साल के तारक क्रिकेट के प्रति इतने समर्पित थे कि उन्होंने शादी तक नहीं की. उन्होंने 5 दशक से ज्यादा क्रिकेट खिलाड़ियों को तराशने का काम किया. उनके तराशे खिलाड़ियों ने घरेलू क्रिकेट से लेकर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपना नाम बुलंद किया. अपने छात्रों के बीच ‘उस्ताद जी’ के नाम से मशहूर तारक सिन्हा ने टीम इंडिया को 8 नायाब हीरे दिए. इनमें मनोज प्रभाकर, रमन लांबा, आशीष नेहरा, अतुल वासन, आकाश चोपड़ा, शिखर धवन, अंजुम चोपड़ा और ऋषभ पंत शामिल हैं. (News 18)
ऋषभ पंत को भी क्रिकेट का ककहरा तारक सिन्हा ने ही सिखाया था. ऋषभ रुड़की से दिल्ली अपनी मां के साथ ट्रेनिंग के लिए आते थे. उसी दौरान तारक ने अपने असिस्टेंट से ऋषभ के खेल पर नजर रखने के लिए कहा था. पंत के टैलेंट को भांपकर तारक ने ही उन्हें दिल्ली के स्कूल में एडमिशन दिलाया और उनके रहने और खाने-पीने का भी पूरा इंतजाम किया था. पंत ने अपनी जिंदगी में कोच तारक सिन्हा की अहमियत बताई थी. तब पंत ने कहा था तारक सर मेरे लिए पिता जैसे नहीं, बल्कि पिता ही हैं. पंत ने अब तक 25 टेस्ट में 1549, 18 वनडे में 529 रन बनाए हैं. उन्होंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 3 शतक लगाए हैं. (Rishabh Pant Instagram)
2011 विश्व कप जीतने वाली भारतीय क्रिकेट टीम के सदस्य रहे आशीष नेहरा के खेल को तराशने का काम भी तारक सिन्हा ने किया था. अपने करियर के शुरुआती दौर में दिल्ली की अंडर-19 टीम में जगह बनाने में नाकाम रहने पर नेहरा डिप्रेशन में चले गए थे और क्रिकेट छोड़ने का फैसला कर लिया था. तारक ने इस गेंदबाज को निराशा और अवसाद से उबरने में मदद की. इसके बाद नेहरा को दिल्ली की रणजी टीम के लिए ट्रायल के लिए बुलावा आया और फिर उन्होंने पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा और भारत के लिए 17 टेस्ट, 120 वनडे और 27 टी20 खेले. (AFP)
आकाश चोपड़ा भी दिल्ली के उसी सोनेट क्लब से निकले थे. जिसे तारक सिन्हा चलाते थे. आकाश के करियर में भी उनका रोल अहम रहा. तभी आकाश को अपने कोच के इस दुनिया से जाने का बेहद दुख है. आकाश ने ट्वीट किया- "उस्ताद जी अब हमारे बीच नहीं हैं. द्रोणाचार्य अवॉर्ड जीतने वाले. उन्होंने भारत के लिए टेस्ट खेलने वाले एक दर्जन से ज्यादा क्रिकेटर तैयार किए. उनके तराशे फर्स्ट क्लास क्रिकेटरों की लंबी फेहरिस्त है. बिना किसी मदद के आपने भारतीय क्रिकेट के लिए अमूल्य योगदान दिया. आप हमेशा याद आओगे सर. ईश्वर आपकी आत्मा को शांति दे." (Aakash Chopra Instagram)
मनोज प्रभाकर के करियर में भी कोच तारक सिन्हा की भूमिका अहम रही थी. प्रभाकर को पहली बार शारजाह में हुए एक टूर्नामेंट में टीम इंडिया की तरफ से खेलने का मौका मिला था. टूर्नामेंट से पहले दिल्ली में भारतीय टीम का एक कैंप लगा था. तब टीम के एक सीनियर मेंबर ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सफल होने के लिए प्रभाकर से अपने एक्शन में बदलाव लाने को कहा था. परेशान प्रभाकर ने कोच सिन्हा का रुख किया. कोच ने प्रभाकर से यह कहते हुए अपना एक्शन नहीं बदलने की सलाह दी कि इसी एक्शन के बदौलत ही उन्हें विकेट मिल रहे हैं. इसके बाद जो हुआ,वो इतिहास है. प्रभाकर ने भारत के लिए 39 टेस्ट और 130 वनडे खेले. (AFP)
अतुल वासन ने भारत के लिए भले ही 4 टेस्ट और 9 वनडे खेले. लेकिन 90 के दशक में उनकी गिनती अच्छे मीडियम पेसर गेंदबाज के रूप में होती थी. उन्होंने 1990 में न्यूजीलैंड के खिलाफ सीरीज के तीन टेस्ट में सबसे अधिक 7 विकेट लिए थे. वो भी तारक सर की क्लास से ही तेज गेंदबाजी के गुर सीखकर निकले थे. उन्होंने रणजी ट्रॉफी में 23.78 के औसत से 213 विकेट लिए थे. (Atul Wassan facebook)
रमन लांबा ने 1986-87 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ घरेलू वनडे सीरीज में 2 अर्धशतक और 1 शतक ठोककर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में धमाकेदार आगाज किया था. लांबा ने भी तारक सिन्हा के सोनेट क्लब से ही क्रिकेट की बारीकियां सीखकर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में मुकाम बनाया था. 38 साल की उम्र में लांबा की बांग्लादेश में क्लब क्रिकेट के एक मैच में फील्डिंग के दौरान सिर पर गेंद लगने से निधन हो गया था. (News 18)
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