भारत ए और बांग्लादेश के बीच दूसरा अनाधिकारिक टेस्ट मैच आज यानी 6 दिसंबर से शुरु हो चुका है. मैच के पहले दिन बांग्लादेश ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 80.5 ओवर में 252 रन बनाए. इस मैच में चेतेश्वर पुजारा और उमेश यादव जैसे सीनियर खिलाड़ी भी खेल रहे हैं, लेकिन इस सबके बीच मैच के पहले दिन मुकेश कुमार का नाम उभर कर सामने आया है. (Mukesh Kumar/Instagram)
मुकेश कुमार ने इस मैच में 15.5 ओवर की गेंदबाजी करते हुए 40 रन दिए और 6 विकेट हासिल किए. इस दौरान उन्होंने 5 ओवर मेडन फेंके और उनकी इकोनॉमी 2.52 की रही. वहीं, उमेश यादव ने 16 ओवर में 55 रन देकर 2 विकेट झटके. पिछले मैच में 9 विकेट लेने वाले सौरभ कुमार पहले दिन खाली हाथ रहे. नवदीप सैनी को भी कोई विकेट नहीं मिला, जबकि जयंत यादव ने 2 विकेट झटके. (Mukesh Kumar/Instagram)
बंगाल की ओर से घरेलू क्रिकेट खेलने वाले दाएं हाथ के तेज गेंदबाज मुकेश कुमार ने पिता कोलकाता में टैक्सी चलाते थे. मुकेश का क्रिकेटिंग करियर आसान नहीं रहा था. मुकेश के पिता क्रिकेट से नफरत करते थे और उन्हें इस खेल में अपना नाम बनाने के लिए सिर्फ एक साल का मौका मिला था, लेकिन एक क्रिकेट ट्रायल के बाद मुकेश की जिंदगी बदल गई. तो आइए जानते हैं मुकेश कुमार के क्रिकेट के सफर के बारे में. (Mukesh Kumar/Instagram)
2008-09 में बिहार के गोपालगंज जिले में 'प्रतिभा की खोज' नाम से एक टेस्ट का आयोजन किया गया, जिसने मुकेश कुमार के क्रिकेट के साथ प्रयास की शुरुआत की. 25-25 ओवर के मैच में मुकेश कुमार ने सात मैचों में 34 विकेट हासिल किए. एक साल बाद उन्होंने बीसीसीआई द्वारा आयोजित एसोसिएट एंड एफिलिएट टूर्नामेंट में बिहार अंडर -19 का प्रतिनिधित्व किया. हेमन ट्रॉफी (बिहार में अंतर-जिला क्रिकेट टूर्नामेंट) में गोपालगंज जिला क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान अमित सिंह ने पहली बार मुकेश कुमार की प्रतिभा को देखा था. (Mukesh Kumar/Instagram)
अमित सिंह ने इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में बताया था कि मुकेश कितने मेहनती हैं. वह रोजाना 30 किलोमीटर साइकिल चलाकर क्रिकेट खेलते थे. अमित ने बताया था कि मुकेश का गांव गोपालगंज से 15 किलोमीटर दूर था. मैंने उनसे कई बार बस लेने के लिए कहा, लेकिन वह कहता था कि भइया लेग मसल्स मजबूत कर रहे हैं. सेना में भर्ती होना है. क्रिकेट मुकेश का पैशन था, लेकिन उनका लक्ष्य सेना में भर्ती होना था. उनके पिता भी क्रिकेट के खिलाफ थे और उस वक्त बिहार में क्रिकेट का कोई भविष्य भी नहीं था. (Mukesh Kumar/Instagram)
बिहार बीसीसीआई से संबद्ध नहीं था और उनका क्रिकेट करियर कहीं नहीं चल रहा था, ऐसे में मुकेश कुमार अपने पिता के टैक्सी व्यवसाय में मदद करने के लिए 2012 में कोलकाता चले गए, जो घाटे में चल रहा था. कोलकाता में भी मुकेश अपनी पिता के इच्छा के खिलाफ गए और दूसरे लीग में 400-500 रुपये में स्थानीय मैच खेलने लगे. 2014 में मुकेश एक और क्रिकेट ट्रायल में शामिल हुए, जिसने उनकी जिंदगी बदल दी. (Mukesh Kumar/Instagram)
इस ट्रायल में उन्हें बंगाल के पूर्व पेसर और बॉलिंग कोच राणादेब बोस ने देखा. एक साल के भीतर उन्हें बंगाल के लिए चुना गया और वर्षों से उनके लगातार प्रदर्शन ने उन्हें इंडिया ए में जगह बनाने का मौका दिया. इसी साल दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ मुकेश कुमार को भारतीय वनडे टीम में जगह मिली थी. (Mukesh Kumar/Instagram)
मुकेश कुमार का सलेक्शन जब बंगाल के बुची बाबू टूर्नामेंट के लिए हुआ था तो उनके पास क्रिकेट किट नहीं थी, तब मनोज तिवारी ने उन्हें बैट, पैड और ग्ल्व्स दिए थे. मुकेश कुमार के बारे में अरुण लाल ने कहा था, ''अगर आपने पाकिस्तान के मोहम्मद अब्बास को देखा है तो वह बिल्कुल उन्हीं की तरह है. वह 140 किमी प्रति घंटा नहीं है, लेकिन वह आपको एक इंच भी नहीं देगा. अगर मुकेश गेंदबाजी कर रहे हैं, तो आपको कुछ अच्छे स्लिप फील्डरों की जरूरत है.'' (Mukesh Kumar/Instagram)
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