जिस उम्र में पिता की उंगली पकड़कर बच्चा चलता है, अगर उसी उम्र में किसी के सिर से पिता का साया उठ जाए, तो उस बच्चे के लिए आगे के सफर कितना मुश्किल हो सकता है. ऐसा ही कुछ जसप्रीत बुमराह के साथ भी हुआ था. 5 बरस की उम्र में उनके पिता का निधन हो गया था. इसके बाद बुमराह के क्रिकेटर बनने के सपने को पूरा करने के लिए उनकी पेशे से शिक्षक मां ने अपना पूरा जीवन खपा दिया. आज बुमराह की गिनती दुनिया के धाकड़ गेंदबाजों में होती, उनके बिना भारतीय पेस आक्रमण में धार नजर नहीं आती है. लेकिन, उनका टीम इंडिया तक पहुंचने का सफर संघर्षों भरा रहा है. आइए जानते हैं कि कैसे बुमराह टीम इंडिया के बेस्ट गेंदबाज बने. (Jasprit Bumrah instagram)
कम उम्र में पिता को खोने के बाद बुमराह के क्रिकेटर बनने का सपना पूरा करना आसान नहीं था. इसे साकार करने में उनकी मां दलजीत बुमराह का सबसे बड़ा हाथ है. मां ने ही बुमराह और उनकी बड़ी बहन को बड़ा किया. वो अहमदाबाद के स्कूल में टीचर थीं. इतनी आमदनी नहीं थी कि बुमराह के क्रिकेटर बनने के सपने को साकार किया जा सके. आज करोड़ों रुपए सैलरी से पाने वाले इस गेंदबाज ने कभी एक जोड़ी टी-शर्ट और एक जोड़ी जूते में गुजारा भी किया है. (Jasprit Bumrah instagram)
नेटफ्लिक्स की डॉक्यूमेंट्री क्रिकेट फीवर: मुंबई इंडियंस में बुमराह ने अपने संघर्ष के दिनों की कहानी बताई थी. तब उन्होंने कहा था, 'पिता को खोने के बाद हम कुछ भी जुटाने के काबिल नहीं थे. मेरे पास एक जोड़ी जूते और एक जोड़ी टी-शर्ट हुआ करती थी. मैं टी-शर्ट को हर दिन धोता था और फिर उसे ही पहन लेता था. जब आप बच्चे होते हैं तो कभी-कभी ऐसी कहानियां सुनते हैं. जीवन में कई लोगों के साथ ऐसा होता है.' (Jasprit Bumrah instagram)
आज जिस यॉर्कर के कारण बुमराह की पहचान दुनिया के सबसे खतरनाक गेंदबाजों में होती है, उसकी नींव उनके घर की छत पर पड़ी थी. दरअसल, बुमराह बचपन से आने के बाद घर की छत पर बॉलिंग की प्रैक्टिस करते थे. आवाज नीचे न जाए और मां गुस्सा ना हो. इसलिए बुमराह गेंद को सीधा दीवार के कोने में फेंकते थे, ताकि ज्यादा आवाज ना आए. उन्होंने फिर टेनिस बॉल क्रिकेट में अपनी स्किल को और तराशा. जिस तरह का उनका एक्शन था, उससे उनकी यॉर्कर और असरदार और खतरनाक बन गई. (Jasprit Bumrah instagram)
ऐज ग्रुप क्रिकेट खेलते-खेलते वो दिन भी आया, जब बुमराह ने गुजरात के लिए फर्स्ट क्लास डेब्यू किया. यह साल था 2013 और बुमराह की उम्र तब 20 बरस थी. उन्होंने फर्स्ट क्लास क्रिकेट की अपनी पहली ही पारी में विदर्भ को 85 रन में समेटने में अहम योगदान दिया. बुमराह ने पहली पारी में ही 4 विकेट झटके और दूसरी में तीन. इस तरह उनका फर्स्ट क्लास डेब्यू यादगार रहा. उन्होंने मैच में कुल 7 विकेट झटके. बुमराह की पहचान क्रिकेट जगत में उनके अजीबोगरीब एक्शन और यॉर्कर की वजह से कायम हुई. (Jasprit Bumrah instagram)
गुजरात के लिए उन्होंने सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में महाराष्ट्र के खिलाफ अपना T20 डेब्यू साल 2012-13 में किया. लेकिन उनके लिए बड़ा मौका साल 2016 में आया, जब उन्होंने ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए चोटिल मोहम्मद शमी की जगह टीम में शामिल किया गया. उन्होंने 2016 के ही ऑस्ट्रेलिया दौरे पर अपना वनडे और टी20 डेब्यू किया. (Jasprit Bumrah instagram)
इसी साल यानी 2016 में बुमराह टी20 क्रिकेट में सबसे अधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज बने थे. बुमराह ने उस साल 18 की औसत से 28 विकेट लिए थे. इस दौरान उनका इकोनॉमी रेट 6.6 का था. दो साल वनडे और टी20 खेलने के बाद बुमराह को 2018 के साउथ अफ्रीका दौरे पर टेस्ट डेब्यू का मौका मिला और टेस्ट में एबी डिविलियर्स उनका पहला शिकार बने. इसी दौरे पर उन्होंने पहली बार टेस्ट में 5 विकेट लेने का कारनामा किया. इसके बाद, उसी साल अगस्त में इंग्लैंड के खिलाफ नॉटिंघम टेस्ट में उन्होंने यही कारनामा दोहराया और फिर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बॉक्सिंग डे टेस्ट में बुमराह ने पांच हासिल किए. यह पहला मौका था, जब एक कैलैंडर ईयर में किसी एशियाई गेंदबाज ने, इंग्लैंड-ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका में टेस्ट की एक पारी में 5 विकेट हासिल किए थे. (Jasprit Bumrah instagram)
इसके बाद तो बुमराह ने पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा और वो तीनों फॉर्मेट में भारत के सबसे अहम गेंदबाज बन गए. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस साल उनकी नेट वर्थ 70 करोड़ के करीब है. उनकी कमाई का बड़ा हिस्सा मैच फीस, बीसीसीआई के सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट और आईपीएल की फीस से आता है. इसके अलावा ब्रांड एंडोर्समेंट से भी कमाई होती है. (Jasprit Bumrah instagram)
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