Sunil Gavaskar Gundappa Vishwanath: सुनील गावस्कर की गिनती दुनिया के दिग्गज बैटर्स में की जाती है. उनके बहनोई गुंडप्पा विश्वनाथ ने भी कई बेहतरीन पारियों खेली, लेकिन 1982 में भाइयों की जोड़ी के सामने विश्वनाथ की टीम को हार का सामना करना पड़ा था. वो भी फाइनल में. इतना ही नहीं टीम ने मैच में 700 से अधिक का स्कोर भी बनाया था.
क्रिकेट में यह वाकया अधिकतर देखने को मिलता है, जब कोई बैटर शतक ठोके और टीम को हार मिले. लेकिन एक टीम की ओर से 4 शतक लगे और उसने 700 से अधिक रन का पहाड़ सा स्कोर खड़ा किया हो. इसके बाद भी उसे फाइनल में हार मिले. ऐसे शायद कम ही मुकाबले हुए होंगे. (AFP)
लेकिन आज ही के दिन 41 साल पहले 1982 में ऐसा हुआ था. रणजी ट्रॉफी के फाइनल में कर्नाटक ने पहली पारी में 705 रन का विशाल स्कोर खड़ा किया था. इसके बाद भी दिल्ली की टीम टाइटल जीतने में सफल रही. पूर्व भारतीय दिग्गज सुनील गावस्कर के बहनोई गुंडप्पा विश्वनाथ को हार का स्वाद चखना पड़ा. (AFP)
5 दिवसीय मुकाबले में कर्नाटक ने टॉस जीतकर बैटिंग का फैसला किया. ओपनर बल्लेबाज रोजर बिन्नी ने बेहतरीन 115 रन बनाए. गुंडप्पा विश्वनाथ खाता तक नहीं खोल सके. ब्रजेश पटेल ने 124, सैयद किरमानी ने 116 और रंजीत खानविल्कर ने 113 रन बनाए. पूरी टीम 255.5 ओवर में 705 रन बनाकर आउट हो गई. (AFP)
जवाब में मैच के अंतिम दिन दिल्ली ने 8 विकेट पर 707 रन बनाए और उसे 2 बढ़त मिल गई. बढ़त के आधार पर दिल्ली ने खिताब जीता. मोहिंदर अमरनाथ ने 185 रन शानदार पारी खेली. सुरिंदर अमरनाथ ने भी 22 रन बनाए. इसके अलावा गुरशरण सिंह ने 101 तो राकेश शुक्ला 69 रन बनाकर नाबाद रहे. (AFP)
इस तरह से मोहिंदर और सुरिंदर की भाइयों वाली जोड़ी गावस्कर के बहनोई गुंडप्पा विश्वनाथ पर भारी पड़ी. तेज गेंदबाज रोजर बिन्नी ने शतक के अलावा 3 विकेट भी झटके, लेकिन वे टीम को जीत नहीं दिला सके. दिल्ली की ओर से लेग स्पिनर राकेश ने 3 विकेट भी झटके. (AFP)
मैच में कर्नाटक के लेग स्पिनर रघुराम भट उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर सके. उन्होंने 94 ओवर गेंदबाजी की. 26 मेडन ओवर डाले. लेकिन वे 180 रन देकर एक ही विकेट ले सके. मैच में कर्नाटक ने 8 गेंदबाजों को आजाया, लेकिन 4 ही विकेट ले सके. (AFP)