विनोद कांबली ने 21 साल की उम्र में अपना टेस्ट डेब्यू किया था. टेस्ट डेब्यू वाले साल में ही कांबली ने 7 मैचों में चार शतक जड़ दिए थे. कांबली ने अपने दूसरे टेस्ट मैच में अर्धशतक जड़ दिया था. इसके बाद तीसरे और चौथे टेस्ट मैच में लगातार दो दोहरे शतक जड़ दिए थे. हैरिस शील्ड के बाद इंटरनेशनल क्रिकेट में धमाकेदार शुरुआत करने के बाद कांबली रातों रात स्टार बन गए थे, लेकिन वह इस स्टारडम को संभाल नहीं पाए और उनका करियर कम उम्र में ही खत्म हो गया.
पूर्व भारतीय क्रिकेटर विनोद कांबली पिछले कुछ वक्त से चर्चा में बने हुए हैं. हाल ही में उन पर अपनी पत्नी के साथ मारपीट का आरोप लगा. आरोप था कि उन्होंने नशे की हालत में अपनी पत्नी को गालियां दी और कुकिंग पेन से मारा. पुलिस में विनोद कांबली के खिलाफ मामला भी दर्द करवाया. विनोद कांबली अपने क्रिकेट से ज्यादा विवादों को लेकर चर्चा में रहे हैं. 16 साल की उम्र में मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर के साथ हैरिस शील्ड ट्रॉफी में 664 रनों की नाबाद पार्टनरशिप करने के बाद कांबली रातोंरात स्टार बन गए थे. 1993 में टेस्ट डेब्यू कर अपने परफॉर्मेंस से रातों रात स्टार बनने वाले कांबली स्टारडम संभाल नहीं पाए. विवादों और खराब परफॉर्मेंस के कारण उनका करियर लंबा नहीं चल पाया. विनोद कांबली ने अपना अंतिम टेस्ट मैच 1995 में महज 23 साल की उम्र में खेला था. इसके बाद उनका टेस्ट करियर खत्म हो गया. (Vinod Kambli/Instagram)
हालांकि, विनोद कांबली का वनडे करियर 1991 में शुरू होकर 2000 में खत्म हुआ. 1996 के वर्ल्ड कप के बाद गैर-क्रिकेटिंग कारणों से बाहर होने के बाद से विनोद कांबली ने 9 बार कमबैक किया, लेकिन टीम इंडिया में टिक नहीं पाए. विनोद कांबली का इंटरनेशनल क्रिकेटर में नौवां कमबैक महज 28 की उम्र में हुआ था. (Vinod Kambli/Instagram)
हैरिस शील्ड ट्रॉफी के मैच में विनोद कांबली ने 349 रन बनाए थे और सचिन तेंदुलकर ने 326. इस मैच में कांबली ने महज 37 रन देकर 6 विकेट भी झटके थे. कई मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सचिन और कांबली के गुरु रमाकांत आचरेकर उन्हें तेंदुलकर से ज्यादा प्रतिभावान मानते थे, लेकिन इंटरनेशनल क्रिकेट में कदम रखने के बाद वह खुद को संभाल नहीं पाए. कहते हैं कि अपनी खराब आदतों, शराब का नशा, पार्टियों का शौक और बुरे व्यवहार की वजह से उनका करियर वक्त से पहले ही खत्म हो गया. (Vinod Kambli/Instagram)
विनोद कांबली ने अपने इंटरनेशनल करियर का आगाज भी धमाकेदार अंदाज में किया था. कांबली ने अपने शुरुआती 7 टेस्ट मैचों में 4 शतक जड़ दिए थे. कांबली ने तीसरे और चौथे टेस्ट मैच में लगातार दो बार दोहरे शतक जड़े थे. कांबली ने इंग्लैंड के खिलाफ वानखेड़े में 224 रन और जिम्बाब्वे के खिलाफ 227 रन की पारी खेली थी. इसके बाद श्रीलंका के खिलाफ उन्होंने लगातार दो शतक जड़े थे. इसके बाद उन्होंने 10 टेस्ट मैचों में सिर्फ दो अर्धशतक बनाए. 17 टेस्ट मैचों में 54.20 औसत के साथ 1084 रन बनाकर कांबली का टेस्ट करियर महज 23 साल की उम्र में खत्म हो गया. (Vinod Kambli/Instagram)
विनोद कांबली ने 1991 से 2000 के बीच 104 टेस्ट मैचों की 97 पारियों में 32.59 के औसत से 2477 रन बनाए. 1996 में भारत की वर्ल्ड कप हार के बाद उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया. इसके बाद भी उन्होंने टीम में 9 बार वापसी की, लेकिन हर बार परफॉर्म करने में नाकाम रहे तो अंत में 28 साल की उम्र में उनके लिए इंटरनेशनल क्रिकेट के दरवाजे हमेशा के लिए बंद हो गए. हालांकि, बाद में कांबली ने आरोप लगाया कि खिलाड़ियों, चयनकर्ताओं और क्रिकेटर बोर्ड की वजह से उनका करियर बर्बाद हुआ. (Vinod Kambli/Instagram)
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