इस खेल में प्रोफेशनल करियर बनाना तो बिल्कुल भी आम बात नहीं थी, क्योंकि बैडमिंटन काफ़ी महंगा स्पोर्ट्स हुआ करता था. रैकेट, शटल और भी बाकी ज़रूरी चीज़ें बहुत महंगी होती थी. अपर्णा का गुजराती परिवार इसके लिए तैयार नहीं था लेकिन साल 1989 में जब उन्होंने अंडर12 चैंपियनशिप जीती तब उनके परिवार ने उनका पूरा साथ देना शुरू किया.
साल 2000 में अपर्णा पोपट पर प्रतिबंधित दवा लेने का दोषी पाया गया और उन पर भी छह माह का प्रतिबंध लगा, मगर बाद में तीन माह बाद उनका प्रतिबंध हटा दिया गया. दरअसल, अपर्णा पोपट को इस बात की जानकारी ही नहीं थी कि सर्दी के कारण उन्होंने जो दवाई ली उसमें बैन किया हुआ पदार्थ क्योंकि तब तक आईबीएफ ने इस तरह की कोई लिस्ट जारी नहीं की थी.
साल 2006 के बाद अपर्णा ने खेल से संन्यास ले लिया. हालांकि, यह फैसला उनके लिए बहुत मुश्किल था. उनकी कलाई में चोट आ गयी थी और कोई भी डॉक्टर चोट का पता नहीं लगा पा रहा था. साल 2006 की चैंपियनशिप की जीत अपर्णा पोपट के खाते में ही आई. उन्होंने अपने प्रोफेशनल खेल के इस आख़िरी टूर्नामेंट में भी जीत हासिल की और इसी जीत के साथ करियर का अंत किया.
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