लेमन ट्री होटल चेन के मालिक पटू केशवानी है. सन 2002 में नौकरी से ऊबरकर इन्होंने अपनी कंपनी की शुरुआत की और आज 5000 करोड़ रुपये से ज्यादा के मालिक बन गए है.
आप अपने दिल के सुनिए...और नाकामयाबी को भूल जाइए... ये शब्द पटू केशवानी के है. सन 2002 में नौकरी से ऊबरकर इन्होंने अपनी कंपनी की शुरुआत की और आज 5000 करोड़ रुपये से ज्यादा के मालिक बन गए है. आपको बता दें कि पटू केशवानी देश के मशहूर होटल चेन लेमन ट्री के मालिक है. होटल चेन कंपनी लेमन ट्री शेयर बाजार के जरिए पैसा जुटाने जा रही है. कंपनी का पब्लिक इश्यू (आईपीओ) 26 मार्च को खुलेगा. लेमन ट्री 2-4 स्टार होटल चलाती है. कंपनी ने आईपीओ के जरिए 1000 करोड़ रुपये जुटाने की योजना है. इस इश्यू का प्राइस बैंड 54 से 56 रुपये प्रति शेयर तय किया गया है. आइए जानते हैं कैसे केशवानी ने खड़ी की कंपनी...
नौकरी से हुए बोर खोल दी कंपनी- पटू केशवानी ने एक बार एक इंटरव्यु में खुलासा किया था कि जब उन्हें कर्मचारी के तौर पर बोरियत होने लगी तो उन्होंने फैसला लिया कि अब वह कर्मचारी नहीं बनेंगे. केशवानी ने कुछ अलग करने की ठानी और होटल बिजनेस में उतरने की तैयारी शुरू की. लेकिन उनके माता पिता ने उनके इस आइडिया में कोई रुचि नहीं दिखाई. जबकि, उनकी पत्नी शारानीता (उस समय केएफसी में मार्केटिंग डायरेक्टर थी) ने उन्हें पूरा सपोर्ट किया और बाद में उनकी कंपनी के साथ भी जुड़ गई.
होटल इंडस्ट्रीज की समझ बढ़ने से शुरुआती परेशानी धीरे-धीरे दूर होने लगी. केशवानी के बिजनेस का प्रमुख मॉडल फाइव स्टार होटल और गेस्टहाउस के बीच भारी अंतर को खत्म करना था. उन्होंने एक इंटरव्यु में कहा था कि मैं एक होटल का निर्माण करना चाहता हूं जहां फाइव स्टार होटल की 60 फीसदी सुविधाएं आधी कीमतों में मिलें.
इसी मॉडल पर काम करते हुए केशवानी ने हरियाणा के गुरुग्राम में 1.5 करोड़ रुपये में जमीन खरीदी. गुरुग्राम को इसलिए चुना क्योंकि ज्यादातर कॉर्पोरेट वहां आते है. उन्होंने कुछ अपने पुराने मित्रों को जो कि ताज ग्रुप में काम करते थे उन्हें अपने साथ जोड़ा. अब कंपनी का नाम चाहिए था, तो सभी का विचार था कि नाम भी नया यूथफुल होना चाहिए. इसीलिए कंपनी का नाम लेमन ट्री रखा.
मई 2004 तक कंपनी के पोर्टफोलियों फाइव स्टार जैसी सुविधा वाले 50 रुम थे. इन में एक रात का खर्च सिर्फ 1600 रुपये प्रति व्यक्ति था. कंपनी के शुरुआती एक महीने में उनकी ऑक्युपेंसी 40 फीसदी रही थी. जबकि, कोई विज्ञापन नहीं किया. कंपनी डायरेक्ट मार्केटिंग करती थी. ये कॉन्सपेट चल गया और पहले पांच साल में ही कंपनी मुनाफे में आ गई. कंपनी का मुनाफा एक करोड़ रुपये था.
केशवानी का कहना है कि यह सब बहुत आसान नहीं था, क्योंकि उनके दोस्त बड़ी नौकरियां छोड़कर आए थे.हालांकि, एक अच्छी मैनेजमेंट टीम बेहतर काम करना जानती है. इसीलिए बिजनेस तेजी से बढ़ने लगा. इसके बाद प्राइवेट इक्विटी फर्म वारबग पिनकस ने कंपनी में 210 करोड़ रुपये का इन्वेस्टमेंट किया. इसके बाद कोटक महिंद्रा रियल्टी ने 32 करोड़ रुपये लगाए. दिसंबर 2006 तक कंपनी 125 रुम्स हो गए थे. ऑक्यूपेंसी 90 फीसदी तक पहुंच गई थी.
लेमन ट्री के पास फिलहाल चार ब्रांड्स हैं- लेमन ट्री प्रीमियर (उच्च वर्ग रेंज), लेन ट्री रिसॉर्ट्स (लग्जरी सेग्मेंट), लेमन ट्री होटल्स (मध्य वर्ग रेंज) और रेड फॉक्स होटल्स (बजट रेंज). कंपनी देश के 24 शहरों में 40 होटल चलाती हैं, जिनमें 4,300 कमरें हैं.
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