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स्मार्टफोन ने छीन ली आंखों की रोशनी, महिला को दी खतरनाक बीमारी, प्लीज़ ध्यान में रखें 6 बातें

स्मार्टफोन का इस्तेमाल आजकल काफी ज्यादा बढ़ गया है. फोन की स्क्रीन को लगातार देखाने से कई तरह की समस्याएं लोगों को होती हैं. लेकिन, इससे किसी की आंखों की रोशनी ही चली जाए इससे बुरा क्या हो सकता है. हाल ही में फोन की लत के चलते एक महिला की आंखों की रोशनी जाने का मामला सामने आया है. ऐसे में अगर आपको भी फोन देखने की आदत है तो 6 बातों को कभी न भूलें. वरना आपको भी भारी दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है.

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स्मार्टफोन से आजकल छोड़े-बड़े सभी तरह के काम हो जाते हैं. ऐसे में स्मार्टफोन का इस्तेमाल इस कदर बढ़ गया है कि इससे जुड़े नुकसान लगातार सामने आ रहे हैं. इसी बीच एक और चौंकाने वाली बात का पता चला है. अपोलो अस्पताल में हैदराबाद के एक न्यूरोलॉजिस्ट डॉ सुधीर कुमार ने हाल ही में ट्वीट्स की एक सीरीज़ शेयर की है, जिसमें बताया गया कि कैसे एक 30 साल की महिला ने अपने स्मार्टफोन के कारण अपनी आखों की रोशनी खो दी. डॉ. सुधीर ने खुलासा किया कि मंजू नाम की एक मरीज उनके पास आंख की दिक्क्त को लेकर आई थी. बाद में पता चला कि उन्होंने अपनी आखों की रोशनी खो दी. आइए जानते हैं आगे क्या हुआ. 

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Eye Blink करते रहना: नियमित रूप से (एक सेकंड से ज़्यादा समय तक) झपकने से आपकी आंखें नम रहती हैं और तनाव कम होता है. सुनिश्चित करें कि आप अपने फोन का इस्तेमाल करते समय हर आधे घंटे में 10 से 20 बार पलकें झपकाएं. पलक झपकना आपकी आंखों को फिर से फोकस करने में भी मदद करता है.

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फोन का टेक्स्ट साइज़: सुनिश्चित करें कि आपके स्मार्टफोन स्क्रीन पर टेक्स्ट का साइज़ बड़ा हो. छोटा टेक्स्ट साइज़ आंखों पर ज़्यादा तनाव डालता है. आप सेटिंग्स में जाकर टेक्स्ट साइज को आसानी से बदल सकते हैं. सभी स्मार्टफोन आपको कंट्रास्ट, ब्राइटनेस और टेक्स्ट सेटिंग्स बदलने की अनुमति देते हैं. टेक्स्ट मैसेज को पढ़ना आसान बनाने के लिए टेक्स्ट का साइज़ बढ़ाना सही होता है.

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Dark Mode का इस्तेमाल: डार्क मोड का इस्तेमाल करें. डार्क मोड को डार्क थीम के नाम से भी जाना जाता है. ये सेटिंग अब लगभग सभी स्मार्टफोन मॉडल पर उपलब्ध है. अपने डिवाइस को डार्क मोड में स्विच करने का मतलब है कि यह गहरे रंग की बैकग्राउंड पर सफेद टेक्स्ट प्रदर्शित करेगा. इससे आखों पर कम ज़ोर पड़ता है. डार्क मोड लाइट एक्सपोजर को कम करता है.

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Screen Brightness सेट करना: बहुत ज़्यादा और और बहुत कम ब्राइटनेस और कंट्रास्ट दोनों ही आंखों के लिए हानिकारक हैं. आप इन्हें अपने डिवाइस की सेटिंग में एडजस्ट कर सकते हैं. अपने फोन में पहले से सेट की गई ब्राइटनेस और कंट्रास्ट सेटिंग्स के अनुसार जाना सबसे अच्छा है.

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फोन के लिए खास नाइट Setting: आईफोन पर नाइट शिफ्ट और एंड्रॉयड फोन पर नाइट लाइट फीचर स्पेक्ट्रम के हल्के साइड पर आपके डिस्प्ले के कलर को ऑटोमैटिकली एडजस्ट कर सकता है. इसके चलते फोन का डिस्प्ले आंखों पर असर नहीं करता है.

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Follow the 20/20/20 Rule: स्मार्टफोन के लिए तथाकथित 20/20/20 नियम है. इसका मतलब है कि हर 20 मिनट में आपको कम से कम 20 सेकंड के लिए कम से कम 20 फीट दूर किसी चीज को देखने की जरूरत है. ये आपकी आंखों की सुरक्षा के लिए काफी मददगार साबित होगा.

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डॉक्टर ने लिखा कि एक महीने के रिव्यू में मंजू बिल्कुल ठीक थी. उसकी 18 महीने का जो विजन लॉस हुआ था, वो रिवकर हो गया. अब, उसका विजन सामान्य है. ऐसा सिर्फ इसलिए हो पाया कि मंजू का सही समय पर इलाज हो गया.

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    स्मार्टफोन ने छीन ली आंखों की रोशनी, महिला को दी खतरनाक बीमारी, प्लीज़ ध्यान में रखें 6 बातें

    स्मार्टफोन से आजकल छोड़े-बड़े सभी तरह के काम हो जाते हैं. ऐसे में स्मार्टफोन का इस्तेमाल इस कदर बढ़ गया है कि इससे जुड़े नुकसान लगातार सामने आ रहे हैं. इसी बीच एक और चौंकाने वाली बात का पता चला है. अपोलो अस्पताल में हैदराबाद के एक न्यूरोलॉजिस्ट डॉ सुधीर कुमार ने हाल ही में ट्वीट्स की एक सीरीज़ शेयर की है, जिसमें बताया गया कि कैसे एक 30 साल की महिला ने अपने स्मार्टफोन के कारण अपनी आखों की रोशनी खो दी. डॉ. सुधीर ने खुलासा किया कि मंजू नाम की एक मरीज उनके पास आंख की दिक्क्त को लेकर आई थी. बाद में पता चला कि उन्होंने अपनी आखों की रोशनी खो दी. आइए जानते हैं आगे क्या हुआ. 

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