व्यापमं घोटाला(46 की संदिग्ध मौत/हत्या): महाघोटाले की स्थिति। दशकों तक सरकारी नौकरियों का बंदरबांट। जब से मामला खुला, तब से लगभग 46 लोगों की संदिग्ध मौत। 2000 से ज्यादा लोग आरोरी, 500 से अधिक लोग फरार। दर्जनों एफआईआर, तो राज्यपाल के प्रतिष्ठित पद तक पर आंच।
कई मौजूदा मंत्रियों के साथ ही पूर्वमंत्रियों पर भी आरोप। हजार से ज्यादा लोग सलाखों के पीछे। अबतक सबसे बड़ा घोटाला, जिसमें किसी का नाम आते ही उसकी संदिग्ध हत्या हो जाती है। जबलपुर मेडिकल कॉलेज जैसे प्रतिष्ठित संस्थान को साल में 2 डीन मिले, दोनों की ही हत्या। पत्रकार अक्षय सिंह की हत्या।
यूपी का NRHM घोटाला(7 लोगों की जान गई): राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) योजना में छह वर्ष के दौरान यूपी को केंद्र से 8657 करोड़ रुपये मिले, लेकिन अधिकारियों व चिकित्सकों ने इसमें पांच हजार करोड़ रुपये की बंदरबांट कर ली।
इसका राजफाश कैग की रिपोर्ट में हुआ। यूपी सरकार की नाक के नीचे हुए इस घोटाले की जांच का काम सीबीआई को सौंपे जाने के बाद मंत्री, राजनेता व वरिष्ठ अधिकारियों के नाम सामने आए। इस घोटाले में तीन सीएमओ समेत सात लोगों की जान जा चुकी है। तमाम अन्य हाई-प्रोफाइल आरोपी सलाखों के पीछे हैं।
चारा घोटाला(1996- 7 की संदिग्ध मौत/हत्या): चारा घोटाले में पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र और तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को जांच में नाम आने के बाद आपराधिक मामले झेलने पड़े। लालू यादव को 5 साल जेल की सजा सुनाई गई।
इस मामले की जांच के दौरान जांच पक्ष से जुड़े कई लोगों की रहस्यमयी तरीके से हत्या हुई। चारा घोटाले में कुल 7 अधिकारियों की भी जानें गई।
NHAI घोटाला, सत्येंद्र दुबे की हत्या, 2 अन्य की भी मौत(2003): तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की महत्वाकांक्षी परियोजना स्वर्णिम चतुर्भुज योजना में धांधली का खुलासा करने वाले सत्येंद्र दुबे की हत्या 2003 में गया(बिहार) में हुई थी। वो उस समय वाराणसी से लौटकर अपने घर जा रहे थे।
सत्येंद्र दुबे बेहद इमानदार आईईएस(इंडियन इंजीनियरिंग सर्विस) अधिकारी थे, जिन्हें उसी समय कोडरमा में प्रोजेक्ट मैनेजर बनाया गया था। उन्होंने 2002 में आईईएस की परीक्षा पास करते ही कोडरमा में एनएचएआई के प्रोजेक्ट को संभाला। जिसमें काफी गड़बड़ियां थी। सत्येंद्र दुबे की सख्ती ही थी कि 6 किलोमीटर खराब गुणवत्ता के साथ बनाई गई सड़क को माफियाओं द्वारा दुबारा बनाया गया। सत्येंद्र दुबे ने तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी को भी स्वर्णिम चतुर्भुज योजना में धांधलियों को लेकर चिट्ठी लिखी। जिसकी खासी चर्चा हुई। पर उन्हें वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा पद से हटवा कर कोडरमा से गया(बिहार)दिया गया।
सत्येंद्र दुबे ने तुंरत ही एक टेस्ट पास किया और प्रमोशन पा गए। पर गया में उनके स्तर का कोई पद नहीं था। मजबूरी में अधिकारियों को उन्हें कोडरमा भेजना पड़ा। पर इससे पहले ही उनकी हत्या कर दी गई। बाद में शुरुआती दो आरोपी श्योनाथ साह और मुकेंद्र पासवान नाम के आरोपियों के जहर के सेवन से मौत हो गई। बाद में सीबीआई ने उन्हें आत्महत्या का नाम दिया। सत्येंद्र दुबे ने महज 1 साल की नौकरी में बड़े बड़े घोटालेबाजों को हिला दिया, पर वे उनसे बच न सके।
आसाराम-नारायण साईं कांड: आसाराम-नारायण साईं पर सिर्फ बलात्कार का ही मामला नहीं है, बल्कि अवैध धन, अवैध जमीन कब्जे और आयकर से जुड़े मामले भी है।
आसाराम पर आयकर अधिकारी को धमकाने का भी केस है, तो नाबालिग के साथ बलात्कार के भी। अबतक आसाराम के खिलाफ गवाही देने वाले 7 लोगों पर हमले हो चुके हैं, जिनमें से 2-3 की जान जा चुकी है।
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