साल 2013 में पूर्ण कुंभ के दौरान कऱीब 12 करोड़ लोगों ने स्नान किया था. तब इलाहाबाद के अलग-अलग स्टेशनों तक जाने वाली 320 स्पेशल ट्रेनें चलाई गई थीं.
प्रयागराज में चल रहा अर्धकुंभ मेला समाप्त हो चुका है. इस मेले के लिए राज्य सरकार से लेकर रेलवे तक ने काफ़ी ख़ास इंतज़ाम किए थे जिससे यह मेला शांतिपूर्वक संपन्न हुआ. मेले में देश-विदेश के क़रोड़ों श्रद्धालुओं ने प्रयागराज पहुंचकर पवित्र संगम में डुबकी लगाई. उत्तर प्रदेश सरकार का दावा है कि मेंले में क़रीब 25 क़रोड़ लोगों ने पवित्र संगम में स्नान किया है. हालांकि रेलवे के आंकड़े थोड़ी अलग कहानी बयां करते हैं.
अनुमान के मुताबिक, साल 2013 में पूर्ण कुंभ के दौरान कऱीब 12 करोड़ लोगों ने स्नान किया था. ये आंकड़े अनुमान पर इसलिए आधारित होते हैं क्योंकि ऐसे मेले में आने वालों लोगों की सही गिनती का कोई तरीका मौजूद नहीं है.
साल 2013 के पूर्ण कुंभ के दौरान रेलवे ने इलाहाबाद के अलग स्टेशनों तक जाने वाली 320 स्पेशल ट्रेनें चलाई थीं. जबकि इन इलाकों से लोगों को वापस लाने के लिए 425 ट्रेनें चलाई गई थीं. यह आंकड़ा केवल महत्वपूर्ण स्नानों के दिन का है. अगर पूरे मेले के बात करें तो रेलवे ने इनवार्ड्स और आउटवार्ड्स कुल 880 ट्रेनें चलाई थीं.
जबकि इस बार प्रयाग में अर्धकुंभ मेला लगा था. रेलवे का अनुमान था कि इसमें पूर्णकुंभ के मुकाबले कम लोग शामिल होंगे. इसलिए उसने शुरुआत में महज़ 622 ट्रेनों को चलाने की योजना बनाई थी, जिसमें आने और जाने वाली दोनों ट्रेनें शामिल थीं. लेकिन मेला समाप्त होने पर यह आंकड़ा क़रीब 970 तक पहुंच गया. इनमें प्रयागराज के अलग अलग स्टेशनों की तरफ जाने वाली 450 ट्रेनें, और वहां से वापसी की 500 से ज़्यादा ट्रेनें शामिल हैं.
आंकड़ों पर गौर करें तो 2013 के पूर्ण कुंभ में जितने लोगों ने रेलवे के इस्तेमाल किया, उसी ट्रेंड पर अगर इस बार भी श्रद्धालुओं ने रेलवे का इस्तेमाल किया है तो क़रीब 13 करोड़ लोगों ने इस बार अर्धकुंभ में डुबकी लगाई है. रेल अधिकारी भी इस बात को मानते हैं कि 2013 के मुक़ाबले इस बार रेलवे के इंतज़ाम काफी बेहतर थे और मेले के लिए लोगों ने ट्रेनों का खूब इस्तेमाल किया है.
राज्य सरकार के दावों के मुताबिक, इस बार अर्धकुंभ में 25 करोड़ लोगों ने डुबकी लगाई है तो इनमें ट्रेनों का इस्तेमाल करने वालों के ट्रेंड के अनुसार रेलवे को क़रीब 1900 स्पेशल ट्रेनें चलानी पड़ती. ख़ैर आंकड़े चाहे जो कहें लेकिन दुनिया से सबसे बड़े तीर्थस्थल पर सफल मेले के आयोजन के लिए राज्य और केंद्र सरकार समेत तमाम एजेंसियों का बड़ा योगदान रहा है.