अयोध्या. उत्तर प्रदेश के अयोध्या (Ayodhya) में राम मंदिर (Ram Mandir) निर्माण के लिए भूमि का समतलीकरण हो चुका है. खम्भों की पाइलिंग हो रही है. अब मंदिर निर्माण के लिए कार्यशाला में रखे पत्थरों को राम जन्म भूमि के परिसर तक पहुंचाया जाना है. 90 के दशक से राम जन्म भूमि की कार्यशाला में रामलला के तराश कर रखे गये हैं. यह राम मंदिर के प्रथम तल के पत्थर हैं, जो राम जन्म भूमि के कार्यशाला में रखे हैं. (मॉडल तस्वीर)
अब राम जन्म भूमि के मंदिर निर्माण के लिए दूसरे मंजिल के पत्थरों को तराशने का काम रामलला के परिसर में ही होगा. राम जन्म भूमि परिसर में ही कार्यशाला की स्थापना होगी. इससे रामलला के मंदिर में लगने वाले पत्थरों को लाने और ले जाने का समय तो बचेगा ही, साथ ही पत्थरों को जरूरत के हिसाब से मंदिर परिसर में तराशा जाएगा. कार्यशाला रामलला के परिसर में स्थापित करने के लिए पत्थरों को तराशने वाली मशीनों को भी रामलला के परिसर में ही लगाया जाएगा. (News 18)
रामलला के परिसर में रखे पत्थरों को ले जाने के लिए रोड मैप तैयार कर लिया गया है. दो रास्ते इसके लिए चिन्हित किए गए हैं. एक रास्ता दीनबंधु नेत्र चिकित्सालय होते हुए नया घाट से हनुमानगढ़ी के सामने होते हुए संपर्क मार्ग से राम जन्म भूमि के परिसर में पत्थरों को प्रवेश कराया जाएगा. ये लगभग 4 किलोमीटर लंबा रास्ता है और इस रास्ते से ले जाने में भीड़भाड़ मिलेगी. दिन के समय इस रास्ते पर ट्रैफिक रहता है. श्रद्धालु भी मौजूद रहते हैं. ऐसे में रात के समय इस रास्ते का इस्तेमाल होगा. (Photo: News 18)
रामलला के परिसर में रखे 1 मंजिल के पत्थरों की तराशी कंप्लीट हो चुकी है. इन पत्थरों को अब नींव खुदने के साथ ही रामलला के गर्भ गृह में पहुंचाने का काम किया जाएगा. जल्द ही भगवान के गर्भ गृह के लिए चिन्हित स्थल पर 1200 पिलर जमीन के नीचे बेस तैयार करने के बाद नींव खुदने का काम शुरू होगा. नींव खुदने के साथ ही पत्थरों को सबसे पहले परिसर में पहुंचाया जाएगा. इसके लिए परिसर के अंदर शेड का निर्माण भी होगा, जहां पर इन पत्थरों को सुरक्षित रखा जा सके. (Courstey: Twitter)
विश्व हिंदू परिषद के प्रांतीय मीडिया प्रभारी शरद शर्मा ने बताया कि राम जन्म भूमि न्यास की कार्यशाला में पत्थरों की तराशी का कार्य लगातार होता रहा है. मंदिर निर्माण के लिए 60 से 65 प्रतिशत पत्थरों की तराशी का कार्य पूरा भी हो चुका है. राम मंदिर के पत्थरों को राम जन्म भूमि के परिसर में पहुंचाने के लिए यदि नया घाट क्षेत्र से ले जाते हैं तो 4 किलोमीटर और यदि परिक्रमा मार्ग से होकर संपर्क मार्ग होते हुए रामलला के परिसर में ले जाते हैं तो साडे 5 किलोमीटर की दूरी पड़ेगी. (Courtsey: Twitter)
राम जन्म भूमि की कार्यशाला का कार्यभार देखने वाले सुपरवाइजर अनु भाई सोमपुरा ने बताया कि राम मंदिर निर्माण के लिए राम मंदिर के प्रथम तल के पत्थरों की तराशी का कार्य पूरा हो चुका है. पत्थर अब रामलला के परिसर में मंदिर की नींव खुदने के साथ ही भेजे जाएंगे. साथ ही दूसरे मंजिल के पत्थरों की तराशी के लिए अब रामलला के परिसर में कार्यशाला के स्थापित करने का काम शुरू किया जाएगा. अनु भाई सोमपुरा की माने तो रामलला के परिसर में पत्थरों को परिक्रमा मार्ग से पहुंचाया जाएगा इसके लिए विश्व हिंदू परिषद के पदाधिकारी और ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने रोडमैप तैयार कर रखा है. (राम मंदिर मॉडल)
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट कार्यालय प्रभारी प्रकाश कुमार गुप्ता ने बताया कि राम जन्मभूमि परिसर में 3 पिलर पायलिग के साथ तैयार हो चुके हैं और चौथे पाइलेर की तैयारी हो रही है. आईआईटी के विशेषज्ञ खंभों की शक्ति का परीक्षण करेंगे और उसके बाद अपनी रिपोर्ट सौंपेंगे. पाइलिंग के बाद पत्थरों को राम जन्मभूमि परिसर में पहुंचाने का काम शुरू किया जाएगा. राम जन्म की कार्यशाला पंचकोशी परिक्रमा मार्ग से क्षति हुई है तो राम जन्मभूमि परिसर तक पहुंचाने के लिए इन्हीं रास्तों को सुगम किया जाएगा. कार्यशाला से परिक्रमा मार्ग होते हुए पत्थर मुहावरा बाजार तक आएंगे, वहां से कोयला मंडी होते हुए राम जन्मभूमि परिसर में पहुंचाए जाएंगे. (राम मंदिर मॉडल)
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