कानपुर देहात. आर्थिक तंगी से जूझ रहे किसान रंजन कुशवाहा के लिए आज गुलाब की खेती संजीवनी बन गई है. कानपुर देहात के झींझक निवासी किसान रंजन कुशवाहा के पास 3 बीघा खेत है. खेती कम होने के बावजूद वह दूसरों किसानों से अधिक आय कमा रहे हैं. कोरोना के संकटकाल में भी गुलाब ने उसके साथ कई परिवारों को बड़ा सहारा दिया.
2016 में उन्होंने धान, गेहूं, चना आदि से हटकर कुछ बिस्वा में गुलाब के पौधे लगाए थे. तैयार होने पर गुलाब तोड़कर उन्होंने बाजार में बिक्री की तो लागत से अधिक कमाई होने से उन्होंने गुलाब की खेती ही करने का प्रण कर लिया.
किसान रंजन कुशवाहा के मुताबिक सीजन में प्रतिदिन 20 से 26 किलो गुलाब का फूल निकलता है. वर्तमान में 70-80 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिक्री हो रही है. रोजाना करीब 1000 से डेढ़ हजार की कमाई हो जाती है. पिछले एक साल से उन्होंने एक बीघे में गेंदा भी लगाना शुरू कर दिया है, जिसकी आमदनी भी अच्छी खासी मिल रही है.
रंजन कहते हैं कि अच्छी कमाई होने से परिवार का रहन सहन भी बेहतर हो गया है. आज रंजन कई किसानों के लिए प्रेरणाश्रोत बन गए हैं. उन्होंने बताया कि शुरुवाती दौर में 70 देशी गुलाब के पौधे तैयार किए थे. उनकी देखभाल व खेती कार्य में उनकी पत्नी मीना बराबर हाथ बंटाती हैं.
उन्होंने बताया कि फूलों को बेचने पर लागत से अच्छी आमदनी हुई तो उन्होंने और कलमें लगाईं. आज करीब 10 हजार पौधे हैं. आज सीजन में वह प्रति माह गुलाब से 40 से 45 हजार रूपए कमाते हैं. उनका मानना है कि आज शिक्षित किसान अगर समय को देखते हुए तकनीक से खेती करें तो खेती उसके लिए बहुत लाभदायक है क्योंकि समय पर बारिश व दैवीय आपदाओं सहित सिंचाई की समस्याओं से किसान लागत से अधिक मुनाफा नहीं कमा पाता है.
रंजन कहते हैं कि गुलाब की खेती की खासियत है कि इसे एक बार तैयार करने के बाद पूरी साल पैदावार मिलती है, जबकि अन्य फसलों को सीजन के मुताबिक बोना पड़ता है. उन्होंने बताया कि गुलाब के फूलों की बिक्री कानपुर देहात में मंगलपुर, संदलपुर, झींझक व रसूलाबाद सहित अन्य कस्बों में की जाती है. वहीं जनपद औरैया के विभिन्न कस्बों में भी गुलाब की अच्छी खपत होती है.
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