मृगांका सिंह स्व. हुकुम सिंह की बेटी हैं. पिछली बार भाजपा की ओर से उन्हें टिकट नहीं दिया गया था जिससे वे खासी नाराज हुई थीं. हुकुम सिंह ने इस सीट से सात बार विधायक की कुर्सी हासिल की थी. साथ ही वे एक बार सांसद भी चुने गए थे. उनके निधन के बाद मृगांका सिंह ने उनकी राजनीतिक विरासत को संभाला है. मृगांका के दो बार चुनाव हारने के कारण पार्टी ने उन पर भरोसा नहीं जताया था लेकिन इस बार उन्हें टिकट दिया गया है. वे पिछले कुछ समय से जमीनी स्तर पर इस क्षेत्र में कार्य कर रही हैं इसलिए उनका पलड़ा यहां से कुछ भारी दिख रहा है.
दिवंगत राज्य मंत्री विजय कश्यप की पत्नी सपना कश्यप पर भाजपा ने इस बार विश्वास जताकर टिकट दिया है. विजय कश्यपर का कोरोनाकाल में निधन हो गया था, इसके बाद उत्तर प्रदेश पिछड़ा वर्ग आयोग में सपना को सदस्य बनाया गया था. मुजफ्फरनगर की चरथावल सीट पर मुस्लिम, चमार, कश्यप, जाट और ठाकुर जाति के मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक है. यही कारण है कि जातिगत समीकरण देखते हुए भाजपा ने सपना को मैदान में उतारा है.
आगरा ग्रामीण से भाजपा की प्रत्याशी बनकर उतर रहीं बेबी रानी मौर्य उत्तराखंड की राज्यपाल रह चुकी हैं. वे आगरा की माहापौर भी रह चुकी हैं. इसके अलावा वे राज्य बाल आयोग और राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य भी रह चुकी हैं. सिटिंग विधायक हेमलता दिवाकर की जगह इस बार भाजपा ने उन्हें मैदान में उतारा है. उन्हें राजनीति में लम्बा अनुभव है. ऐसे में उन्हें लेकर यहां से काफी उम्मीदें लगाई जा रही हैं.
भाजपा के लिए ये खास उम्मीदवारों में से एक है. बाह विधानसभा सीट चम्बल क्षेत्र के अंतर्गत आती है इसलिए इन्हें बीहड़ की रानी के नाम से भी जाना जाता है. उनके पति राजा अरिदमन सिंह भी विधायक और मंत्री रह चुके हैं. बाह में उनके परिवार का राजनीतिक इतिहास रहा है इसलिए यहां की जनता इस परिवार के सपोर्ट में रहती है. पक्षालिका ठाकुर और ब्राह्मण वोट खींचने में सक्षम हैं. यही कारण है कि भाजपा ने उन पर दांव खेला है.
भाजपा की सूची के नाम सबसे कम उम्र की विधायक बनने का रिकॉर्ड दर्ज है. 1989 में जन्मीं सूची सबसे युवा महिला विधायक हैं. राजनीतिक परिवार से संबंध रखने वाली सूची ने फूड एंड न्यूट्रीशियन में एमएससी कर रखा है. ऐसे में सूची को ना सिर्फ राजनीतिक समझ है बल्कि शिक्षित भी हैं. यही कारण है कि भाजपा ने उन्हें एक बार फिर से बिजनौर से उतारने का फैसला लिया है.
2017 में हुए विधानसभा चुनावों में डॉ. मंजू सिवाच ने जीत दर्ज की थी. उन्होंने बसपा के वहाब चौधरी को 66582 वोटों के अंतर से मात दी थी. यही कारण है कि भाजपा ने एक बार फिर सिवाच पर भरोसा जताया है. पेशे से चिकित्सक मंजू गैर राजनीतिक परिवार से हैं. वे समाज सेवा और बेदाग छवि के लिए जानी जाती हैं. यही कारण है कि भाजपा ने फिर से उन्हें मैदान में उतारा है.
बुलंदशहर की खुर्जा विधानसभा सीट से मीनाक्षी सिंह को भाजपा लेकर आई है. यहां पर बिजेंद्र सिंह खटीक का टिकट काटकर मीनाक्षी को मैदान में उतारा गया है. 2017 में बिजेंद्र ने यहां से भाजपा के टिकट पर जीत हासिल की थी. यहां पर दलित और मुस्लिम वर्ग के मतदाताओं की संख्या अधिक है. ऐसे में मीनाक्षी सिंह कितने वोट खींच पाती हैं यह देखने लायक होगा.
इस सीट पर यादव मतदाताओं की संख्या अधिक है और उनके बाद मुस्लिम हैं. ये दोनों मिलकर यहां पर चुनावी नतीजे प्रभावित करते हैं. ऐसे में भाजपा ने वरिष्ठ नेता गुलाबो देवी पर को यहां से उतारा है. वर्तमान में वे यहां से विधायक हैं और यहां की हर नब्ज को बेहतर तरीके से जानती हैं. वे पिछली बार सातवीं बार विधायक की कुर्सी पर बैठी थीं.
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