रिपोर्ट/अंजलि सिंह राजपूत, Lucknow Hindu Temple: यह मंदिर भी छोटा काशी में ही स्थित है. हजारों साल पुराना इसका इतिहास है. कहते हैं जो भी भक्त यहां पर आकर पूजा अर्चना करते हैं उनके ऊपर आने वाले सभी संकट दूर हो जाते हैं.
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की रक्षा सात बहनें करती हैं. इन सात बहनों के चौखट पर मत्था टेकने के लिए नवरात्रि में भक्तों की भीड़ उमड़ती है. आज हम आपको बताने जा रहे हैं लखनऊ की मशहूर शक्तिपीठ और सिद्धपीठ सात देवियों की ऐसी मंदिरों के बारे में जिन्हें बहनें कहा जाता है. ऐसा कहे जाने के पीछे यह मान्यता है कि सभी बेहद करीब स्थित हैं.
सभी सिद्धपीठ और शक्तिपीठ और प्राचीन मंदिरे हैं. कहते हैं लखनऊ में कोई भी बड़ी बाधा आती है तो लखनऊ के लोग इन मंदिरों में पहुंचकर अवश्य ही प्रार्थना करते हैं ताकि वह बाधाएं दूर हो जाएं. कोविड-19 काल में भक्तों ने इन मंदिरों में रहने वाले पुजारियों को हवन का पैसा देकर उनसे वायरस को खत्म करने की प्रार्थनाएं कराई थी.
मनसा देवी मंदिर 100 साल से भी ज्यादा पुराना है. यह मंदिर लखनऊ की छोटी काशी चौपटिया में बड़ी काली मंदिर से कुछ ही दूर पर स्थित है. बेहद प्राचीन मंदिर होने की वजह से नवरात्रि में यहां भक्तों की लंबी लाइन लगती है. कहते हैं यहां दर्शन करने से भक्त अनचाहे भय से मुक्त हो जाता है. यानी किसी को अगर भ्रम की बीमारी है तो दूर हो जाती है.
बंदी मां का मंदिर कटरा में स्थित है. इन्हें कटरा की रानी भी कहा जाता है. यह मंदिर 200 साल से भी ज्यादा पुराना है. इसे ब्राह्मणों में बाजपेई जाति की कुलदेवी कहा जाता है. ऐसा कहा जाता है कि यहां पर दर्शन करने से इंसान बंधनों से मुक्त हो जाता है.
यह मंदिर टिकैतगंज कदीम के सिरे पर मेहंदी गंज नामक मोहल्ले में स्थित है. शीतला मां के मंदिर को रामायण काल का बताया जाता है. इस मंदिर की स्थापना जानकी नंदन लव द्वारा की गई थी. नवरात्रि में इस मंदिर में दर्शन करने वालों की सबसे ज्यादा भीड़ रहती है. शीतला मां को राजपूतों की इष्ट देवी भी कहा जाता है.
यह मंदिर चौक चौराहे के बेहद करीब स्थित है. यहां पर लक्ष्मी नारायण की प्रतिमा स्थित है लेकिन उन्हें काली के रूप में पूजा जाता है. यह मंदिर औरंगजेब के वक्त का है. नवरात्रि में यहां पर मेला लगता है जो कि लखनऊ का सबसे बड़ा मेला होता है. नवरात्रि में यहां दर्शन करने के लिए न सिर्फ लखनऊ बल्कि उत्तर प्रदेश के अलग जिलों से भी भक्त आते हैं.
संदोहन मां मंदिर भी छोटी काशी चौपटिया चौराहे के करीब स्थित है. 500 साल पुराना शक्तिपीठ और सिद्ध पीठ इसे भी माना जाता है. यहां पर शादी के बाद नए जोड़े अक्सर पूजा पाठ करते हुए नजर आ जाते हैं. यहां पर मुंडन भी होता है. नवरात्रि में इस मंदिर का भी खास महत्व है.
संकटा माई मंदिर भी छोटा काशी में ही स्थित है. हजारों साल पुराना इसका इतिहास है. कहते हैं जो भी भक्त यहां पर आकर पूजा अर्चना करते हैं उनके ऊपर आने वाले सभी संकट दूर हो जाते हैं. नवरात्रि में यहां 24 घंटे दर्शन होते हैं. हवन होता है. आरती होती है और भजन कीर्तन होते हैं.
भुईयन देवी मंदिर गणेशगंज में स्थित है इसके बारे में ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर पर जब जब पर्दा लगाया गया तब-तब पर्दे में या तो आग लग गई या पर्दा अपने आप ही गिर गया. जिसके बाद से इस मंदिर में माता के सामने कभी भी पर्दा नहीं लगा गया. इस मंदिर में देवी का मुख पूर्व दिशा की ओर है. इस मंदिर की खासियत यह भी है कि भुईयन देवी मां के ठीक दाहिने हाथ पर बगल में संकटा माई भी मौजूद हैं. दोनों की एक साथ ही पूजा-अर्चना होती है. यहां श्रद्धालु माता रानी की परिक्रमा भी लगाते हैं.