लखनऊ. यूपी विधानसभा उपचुनाव (UP Assembly By Election) के नतीजों से सत्ताधारी भाजपा (BJP) की पौ बारह है. हो भी क्यों न. योगी शासन के साढ़े 3 साल बाद भी नतीजे 2017 जैसे ही हैं लेकिन, स्थिति इतनी सपाट भी नहीं है. उपचुनाव की सातों सीटों पर भाजपा को मिले वोटों का आंकलन किया जाए तो 6 सीटों पर उसके लिए स्थिति अलार्मिंग बन गई है.
ये वो सीटें हैं, जिसे पार्टी ने जीत भले लिया है लेकिन उसे मिले वोटों का प्रतिशत 2017 के मुकाबले इस उपचुनाव में गिरा है. यानी जितने फीसदी वोट 2017 में भाजपा को मिले थे, 2020 के उपचुनाव में उससे कम मिले हैं. सिर्फ 1 सीट पर ही उसका वोट शेयर बढ़ा है.
इनमें बांगरमऊ, टूण्डला, घाटमपुर, देवरिया और बुलंदशहर ऐसी सीटें हैं, जहां जीत के बावजूद भाजपा के लिए चिन्ताजनक हालात इस उपचुनाव में दिखे हैं. वहीं मल्हनी में तो पार्टी जमानत भी नहीं बचा सकी. आईये एक-एक करके इन सीटों पर पार्टी का प्रदर्शन देखते हैं.
घाटमपुर, कानपुर - सीट भले ही भाजपा ने जीत ली है लेकिन, 2017 के मुकाबले उसका वोट शेयर इस बार काफी कम हुआ है. यहां मत प्रतिशत में सबसे ज्यादा 10.71 फीसदी गिरावट दर्ज की गई. 2017 के चुनाव में पार्टी को यहां 49.07 फीसदी वोट मिले थे लेकिन, इस बार 38.36 फीसदी ही वोट मिले हैं.
टूण्डला, फिरोजाबाद - ये सीट भी पार्टी ने आसानी से जीत ली है लेकिन, यहां भी उसका वोट शेयर 2017 के मुकाबले 8.72 फीसदी गिरा है. 2017 में भाजपा को 48.96 फीसदी वोट मिले थे जबकि इस बार 40.24 फीसदी ही मिले.
देवरिया - सत्य प्रकाश मणि ने फिर से भाजपा को जीत दिला दी लेकिन, उनका भी वोट शेयर पहले के मुकाबले गिरा है. ये गिरावट 7.99 फीसदी की रही. 2017 में पार्टी को 48.41 फीसदी वोट मिले जबकि इस बार 40.42 फीसदी ही वोट शेयर रह गया.
बुलंदशहर - पार्टी को यहां जीत के बावजूद 2 फीसदी वोटों का नुकसान उठाना पड़ा है. 2017 में उसे 45.82 फीसदी वोट मिले थे जो इस बार 43.81 फीसदी ही रह गया है.
मल्हनी - इस सीट पर भाजपा इतिहास नहीं बदल पाई. उसे पहले भी जीत नहीं मिली थी और इस बार भी नहीं मिली. और तो और इस बार तो पार्टी का सबसे खराब प्रदर्शन रहा. मल्हनी में भाजपा प्रत्याशी मनोज सिंह की जमानत जब्त हो गई. 2017 के मुकाबले भाजपा इस बार और नीचे आ गई है. तब उसे 18.92 फीसदी वोट मिले थे जबकि इस बार महज 13.92 फीसदी ही रह गया. जमानत बचाने के लिए कुल पड़े वोटों का 16 चाहिए होता है लेकिन, मनोज इतना भी नहीं जुटा पाए. (तस्वीर-
सपा के बाद दूसरे नंबर पर रहे निर्दलीय प्रत्याशी धनंजय सिंह)
पार्टी के प्रवक्ता मनीष शुक्ला ने बताया कि मल्हनी में पिछली बार पार्टी चौथी पोजिशन पर थी लेकिन, इस बार उसने तीसरी पोजिशन हासिल की है. जहां जीत हुई है वहां भी और जहां हार हुई है वहां भी पार्टी समीक्षा करेगी और 2022 में हम जरूर मल्हनी जीतेंगे.
सिर्फ अमरोहा की नौगांव सादात सीट पर ही पार्टी 2017 के अपने प्रदर्शन को दोहरा पाई है. 2017 में चेतन चौहान को 41.63 फीसदी वोट मिले थे जबकि इस बार उनकी पत्नी संगीता चौहान को 41.72 फीसदी वोट मिले हैं. यानी 0.09 फीसदी ज्यादा. लगभग बराबर.
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