मथुरा की पावनी खंडेलवाल भारत से अकेली महिला हैं जिन्हें 22 मार्च से होने जा रहे वर्ल्ड इकोनॉमिक आर्डर के प्रोग्राम के लिए चुना गया है. यह कार्यक्रम वाशिंगटन और शिकागो में फ्रेडरिक नौमन फाउंडेशन द्वारा महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आयोजित किया जाएगा.
उड़ान के लिए पंखों की नही हौसलों की जरूरत होती है. इस बात को साबित किया है मथुरा की 24 साल की पावनी खंडेलवाल ने. मथुरा की तंग गलियों से निकलकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाने वाली पावनी खंडेलवाल के माता-पिता और परिवार के लोगों ने कभी सोचा भी होगा कि एक दिन उनकी बेटी सात समंदर पार अमेरिका में इतनी छोटी सी उम्र में उनका नाम रोशन करेगी. पावनी 22 मार्च को अमेरिका में महिलाओं की उद्यमिता पर होने ...
पावनी खंडेलवाल भारत से अकेली महिला हैं जिन्हें 22 मार्च से होने जा रहे वर्ल्ड इकोनॉमिक आर्डर के प्रोग्राम के लिए चुना गया है. यह कार्यक्रम वाशिंगटन और शिकागो में फ्रेडरिक नौमन फाउंडेशन द्वारा महिला उद्यमिता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आयोजित किया जाएगा.
सप्ताह भर चलने वाले इस कार्यक्रम में पावनी महिला संचालित उद्यम, मेंटरशिप, नेटवर्किंग और महिलाओं के लिए वित्त पोषण के अवसर, महिलाओं की सामाजिक अपेक्षाओं और दायित्वों, उद्यमशीलता कौशल निर्माण और शिक्षा आदि विषयों पर लोगों को जागरुक करेंगी और चर्चा करेंगी.
पावनी ने बताया कि वह बचपन से ही महिला सशक्तिकरण के लिए काम करना चाहती थीं. क्योंकि जिस जगह वह पली बढ़ी उस जगह के आसपास के इलाके में लड़कियों के लिए काफी बंदिशें थीं. उनकी प्रेरणा उनकी अपनी मां बनी. पावनी ने बताया कि उनकी मां स्कूटी चलाना चाहती थी. उन्होंने मां के अंदर के डर को खत्म करते हुए उन्हें स्कूटी चलाना सिखाया और यहीं से पावनी ने उन महिलाओं के लिए लंबी लड़ाई को लड़ने की ठानी और आत्मन...
पावनी ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि वह खुद अपने पैरों पर खड़े होकर दूसरों को आत्मनिर्भर बनाएंगी. पावनी मानती हैं कि महिलाओं को शुरू से ही ऐसा माहौल मिलता है कि वह आत्मनिर्भर नहीं हो पाती. उन्हें लगता है कि वह किसी अन्य पर आत्मनिर्भर हैं.
पावनी आगामी 22 मार्च को अमेरिका में होने वाले कार्यक्रम में शामिल होने जा रही हैं. जिसके लिए दुनिया भर से केवल 10 महिलाओं को एक कठिन स्क्रीनिंग प्रक्रिया के माध्यम से इस कार्यक्रम के लिए चुना गया है. जिन अन्य देशों की महिलाएं भाग ले रही हैं उनमें जर्मनी, जॉर्जिया, मोरक्को, ग्रीस, बुल्गारिया, तुर्की और कैंबोडिया की शामिल हैं.
दुनिया भर से चुनी गई 10 महिलाओं में से अपने आप का नाम आने के बाद आज भी पावनी को यह सब सपने जैसे लगता है और वह इस बात से खुश है कि उन्हें भारत की ओर से यह मौका मिला है.
आत्मनिर्भर लर्निंग महिलाओं के लिए एक दोपहिया ड्राइविंग स्कूल चलाती हैं. जिसे एक नॉन फॉर प्रॉफिट संगठन यानी आत्मनिर्भर महिला संघ कहा जाता है, जो महिला उद्यमिता को बढ़ावा देता है. पावनी के इस कदम से सबसे ज्यादा खुश उनकी मां है.
पावनी खंडेलवाल की मां का कहना है कि सभी के मां-बाप अपने बच्चों को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास करते हैं, लेकिन आज मेरी बेटी ने मुझे आत्मनिर्भर बनाया है. जब लोग उसकी तारीफ करते हैं तो इससे बड़े गर्व की कोई बात नही हो सकती. (रिपोर्ट- नितिन गौतम)