मेरठ के साथ पांच जिलों को छूती 2073 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैली हस्तिनापुर सैंक्चुअरी में भरपूर जैव विविधता है. वन्य जीव अभ्यारण्य में जहां दस से ज्यादा तेंदुए, सैकड़ों की संख्या में बाहरसिंहा व चीतल समेत चार प्रकार के हिरन, लंगूर, लोमड़ी, जंगली सुअर, और नीलगाय बड़ी संख्या में हैं, वहीं गंगा नदी में बिजनौर से हस्तिनापुर होते हुए नरौरा तक घड़ियालों की बड़ी तादाद है. मगर ठंड के समय में विदेशी पक्षियों का यहां खास आकर्षण रहता है.
आनेवाले समय में यहां डाल्फिन की उछलकूद देखने के लिए मखदूमपुर, सिरजेपुर, कुंडा एवं खरखाली के रूप में चार केंद्र चिन्हित किए गए हैं. इसे विकसित किया जा रहा है. यहां कछुओं की चार से ज्यादा प्रजातियां पाई जाती हैं. कछुओं के पुनर्वास पर शोध हो रहा है, वहीं भविष्य में तेंदुआ रेस्क्यू सेंटर एवं सेजय वन में प्रस्तावित मिनी चिड़ियाघर भी इको टूरिज्म से जुड़ेगा.
हस्तिनापुर यकीनन प्राकृतिक रुप से बहुत समृद्ध है. यहां की सुन्दरता में चार चांद लगाने के लिए अब विदेशी पक्षी भी यहां डेरा डाले हुए हैं. अगर वेटलैण्ड सुरक्षित रहेगा तभी हमारी विविधता बरकरार रह पाएगी. बर्ड लवर्स ने आज चिड़ियों को बचाने का भी संकल्प लिया. यहां आए बच्चों ने खास तौर से कहा कि अब वो भी अपनी प्यारी गोरैया को बचाने के लिए अपना कर्तव्य निभाएंगे. वाकई में कुदरत के खजाने में हमारे लिए सबकुछ है बस उसे सहेजने की जरूरत है.
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