मेरठ. मेरठ में एक संस्था के प्रदर्शन ने आज चिपको आंदोलन की याद दिला दी. आपको याद दिला दें कि चिपको आंदोलन आज से तकरीबन 49 साल पहले उत्तराखंड में शुरू हुआ था. इस आंदोलन में पेड़ों को कटने से बचाने के लिए गांव के लोग पेड़ से चिपक जाते थे. चिपको आंदोलन उत्तराखंड के चमोली जिले में गोपेश्वर नाम के एक स्थान से शुरू हुआ था. 1972 में जंगलों की अंधाधुंध और अवैध कटाई हो रही थी. इस आंदोलन में वनों की कटाई रोकने के लिए गांव के पुरुष और महिलाएं पेड़ों से लिपट जाते थे और ठेकेदारों को पेड़ नहीं काटने दिया जाता था. कुछ ऐसा ही नजारा आज मेरठ में दिखा. कमिश्नरी चौराहे पर एक शख्स पेड़ के पत्ते पहने हुए था. वह लगातार नारेबाजी कर रहा था. वह कह रहा था कि हरे पेड़ मत काटिए. आइए, तस्वीरों के साथ-साथ आपको बताते हैं यह ताजा मामला :
दरअसल, योगी सरकार ने उत्तराखंड से मुरादनगर तक कांवड़ मार्ग बनाने की योजना बनाई है. इस प्रस्तावित मार्ग में कथित तौर पर 60 हजार हरे पेड़ आ रहे हैं. कांवड़ मार्ग बनाने के दौरान इन हरे पेड़ों का कटना तय है.
संस्था के लोगों का कहना है कि बीते वर्ष सरकार के निर्देश पर यूपी में रिकॉर्ड पेड़ लगाए गए थे. उस दौरान मेरठ में एक दिन में एक लाख अस्सी हजार पौधरोपण किया गया था. इस सामूहिक प्रयास की बदौलत यूपी का नाम गिनीज बुक में दर्ज हुआ था.
इनलोगों का कहना है कि कांवड़ यात्रा 15 दिन तक रहती है. ऐसे में कांवड़ मार्ग बनाए जाने को लेकर 60 हजार वृक्ष नहीं कटने चाहिए. ऐसे में जिस यूपी ने पर्यावरण की रक्षा के लिए इतने पौधे लगाए, वही सड़क के नाम पर इतने पेड़ों को काट गिराए तो यह तकलीफदेह होगा.
इसीलिए जागरूक नागरिक एसोसिएशन के कार्यकर्ताओं ने गले में टहनियां पहनकर प्रदर्शन किया और सीएम को संबोधित ज्ञापन डीएम को दिया. संस्था के लोगों का कहना है विकास अपनी जगह है, लेकिन पेड़ सबके लिए जीवनदायिनी होते हैं.
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